रांची। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में हजारीबाग में एक नाबालिग को एसिड पिलाने के मामले में सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले के आरोपी का पॉलिग्राफी टेस्ट के लिए पत्र लिखे जाने पर हजारीबाग अदालत से रिपोर्ट मांगी है। हजारीबाग की अदालत से पूछा गया है कि किस प्रावधान के तहत पॉलिग्राफी टेस्ट कराने के लिए एफएसएल, अहमदाबाद के निदेशक को पत्र भेजा गया है। 25 सितंबर तक इस मामले में विस्तृत जानकारी अदालत में दाखिल करनी है।
सुनवाई के दौरान हजारीबाग के एसपी वीसी के जरिए मौजूद थे, लेकिन जांच अधिकारी के उपस्थित नहीं होने पर अदालत ने नाराजगी जताई। इस पर अदालत को बताया गया कि वे कोरोना संक्रमित हैं। इसपर अदालत ने कहा कि क्या इसके लिए सरकार की ओर से कोई आवेदन दिया गया है। लेकिन ऐसा आवेदन नहीं दिए जाने पर कोर्ट ने कहा कि उनके आदेश को हल्के में नहीं लिया जाए। इस दौरान अदालत ने एसपी से कहा कि नामजद आरोपी को अब तक गिरफ्तार नहीं करना गंभीर मामला है। क्योंकि बिना गिरफ्तार किए किसी का पॉलिग्राफी टेस्ट नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने पुलिस जांच पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी को गवाह के रूप में पेश करने की तैयारी हो रही है। गवाहों को जिस प्रावधान के तहत नोटिस दिया जाता है उसी के तहत मामले के नामजद आरोपी को नोटिस को दिया गया है। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि इस मामले में आरोपी ने निचली अदालत में अग्रिम जमानत याचिका भी दाखिल की थी, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया गया। अदालत ने इसकी पूरी रिपोर्ट निचली अदालत से मांगा है।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि महाधिवक्ता व अपर महाधिवक्ता नंबर दो बीमार हैं। इसलिए समय दिया जाए। इसके बाद अदालत ने इसकी सुनवाई 25 सितंबर को निर्धारित की है। दरअसल, दिसंबर 2019 में हजारीबाग की एक नाबालिग स्कूली छात्रा को कुछ लोगों ने एसिड पिला दिया था। छात्रा का पटना एम्स और रांची के रिम्स में इलाज चल रहा था। एसिड पिलाने के कारण वह दो माह तक कुछ बोल नहीं पा रही थी। अखबारों खबर प्रकाशित होने के बाद अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने इसको लेकर चीफ जस्टिस का पत्र लिखा था। इसके बाद चीफ जस्टिस ने इस पर संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया।
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