रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने सेवा से बर्खास्त शिक्षकों को फिर से बहाल करने का आदेश दिया है। जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें शिक्षकों को डिग्री के आधार पर बर्खास्त करने का निर्देश दिया था। अदालत ने सरकार के बर्खास्त करने के आदेश को निरस्त करते हुए शिक्षकों को बहाल करने का आदेश दिया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि इनकी बर्खास्त होने वाली अवधि को भी सेवा में माना जाएगा।
इससे पहले सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने अदालत को बताया कि धनबाद जिले के निरसा के माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक प्रेमलाल हेम्ब्रम और सुरेंद्र मुंडा को सरकार ने सात अक्टूबर 2016 को यह कहते हुए बर्खास्त कर दिया कि इन्होंने जहां से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। उस संस्थान की मान्यता रद कर दी गई है। इसलिए इन्हें बर्खास्त किया जाता है। इसके अलावा इंटरमीडिएट में इन्हें 40 फीसदी से कम अंक मिले हैं।
अधिवक्ता विनोद सिंह ने अदालत को बताया कि इन लोगों ने देवघर हिंदी विद्यापीठ से स्नातक की डिग्री 2012 में प्राप्त की थी। लेकिन झारखंड सरकार ने इस संस्थान की मान्यता वर्ष 2014 में समाप्त की है। ऐसे में सरकार अपने आदेश को पिछे से लागू नहीं कर सकती है। जैक के प्रमाण पत्र में इन्हें 40 फीसदी से ज्यादा अंक मिले है। वहीं, सरकार ने इनको खिलाफ बिना विभागीय कार्रवाई किए ही बर्खास्त करने का आदेश दिया है, जो कि सही नहीं है।
इसलिए इनकी सेवा बहाल की जाए। हालांकि इस दौरान सरकार की ओर से प्रार्थियों की दलील का विरोध किया गया। लेकिन अदालत ने सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए दोनों शिक्षकों को बहाल करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि शिक्षक प्रेमलाल हेम्ब्रम और सुरेंद्र मुंडा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार के आदेश को चुनौती दी थी।