रांचीः झारखंड हाईकोर्ट ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी के नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने सभी दस्तावेजों को देखने के बाद माना कि जेपीएससी द्वारा विकास कुमार को विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी के पद पर नियुक्ति की अनुशंसा सही है।
सुनवाई के दौरान प्रतिवादी विकास कुमार के अधिवक्ता अमित सिन्हा ने अदालत को बताया कि जेपीएससी ने मार्च 2020 में विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पद पर नियुक्ति की अनुशंसा की थी। लेकिन विश्वविद्यालय की ओर से अनुभव वाले दस्तावेजों के सत्यापन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई। कमेटी ने दस्तावेजों को सही माना।
इसके बाद बिना किसी कारण के विश्वविद्यालय ने दोबारा कमेटी बनाई। उसने भी दस्तावेजों को सही माना। इसके बाद एक बार फिर कुलपति ने तीसरी बार कमेटी का गठन किया, जो दस्तावेजों की जांच की और उक्त कमेटी ने आहर्ता पूरी नहीं होने की रिपोर्ट दी। इसमें भी कोई कारण नहीं बताया गया है।
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इस पर अदालत ने कहा कि विज्ञापन के अनुसार आहर्ता पूरी करना जेपीएससी का काम है। कमेटी को सिर्फ दस्तावेजों का सत्यापन करना था। इस पर जेपीएससी ने कहा कि एक्सपर्ट कमेटी ने दस्तावेजों का सत्यापन किया था और उसके बाद दोनों लोगों का साक्षात्कार किया गया। इसमें विकास कुमार को निशांत कुमार से ज्यादा अंक मिले थे।
इसी आधार पर जेपीएससी ने विकास कुमार को वित्त पदाधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए अनुशंसा की। इसको चुनौती देते हुए निशांत कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि विकास कुमार इस पद के लिए आहर्ता पूरी नहीं करते हैं।