पुरानी पेंशन का लाभ देने का निर्देश, हाई कोर्ट ने कहा नियुक्ति में विलंब के लिए कर्मी दोषी नहीं

झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रार्थियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने का निर्देश दिया है। अदालत ने सरकार के उस आदेश को रद कर दिया जिसमें प्रार्थियों को नयी पेंशन का लाभ दिया गया था।

सरकार के इस आदेश को विनोद टोप्पो एवं आठ ने चुनौती दी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि प्रार्थियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन वर्ष 2001 में निकला था। लेकिन नियुक्ति वर्ष 2008 में की गयी। विलंब से नियुक्ति के लिए प्रार्थी दोषी नहीं माने जा सकते। ऐसे में इन्हें पुरानी पेंशन का लाभ मिलना चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि प्रार्थी कोडरमा सिविल कोर्ट में चालक के पद पर कार्यरत हैं। वर्ष 2004 में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली गयी, लेकिन नियुक्ति वर्ष 2008 में की गई। नियुक्ति पत्र देने में सरकार ने चार साल लगा दिए।

पुरानी पेंशन नहीं देने के आदेश को दी थी चुनौती

इस बीच वर्ष 2021 में सरकार ने एक आदेश जारी कर वर्ष 2021 में राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा कि उनकी नियुक्ति वर्ष 2004 के बाद हुई है, इसलिए उन्हें नयी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। इस आदेश को प्रार्थी ने चुनौती दी।

प्रार्थी का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि नियुक्ति पत्र देने में विलंब के लिए प्रार्थी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि नियुक्ति प्रक्रिया वर्ष 2004 से पहले शुरू की गयी थी और 2004 में नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी थी।

वर्ष 2004 तक नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने का प्रावधान है। सुनवाई के बाद अदालत ने प्रार्थी के दावे को सही बताया और सरकार के नयी पेंशन स्कीम का लाभ देने की याचिका खारिज कर दी।

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