सामूहिक दुष्कर्म व हत्या के मामले में तीन की फांसी की सजा निरस्त, हाई कोर्ट ने कहा फिर से करें ट्रायल

Jharkhand High Court News: झारखंड हाई कोर्ट पोक्सो एक्ट में तीन अभियुक्तों की फांसी की सजा को निरस्त करते हुए फिर से ट्रायल करने का आदेश दिया है। दुमका जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र में छह साल की बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।

इस मामले में दुमका की पोक्सो अदालत ने मिट्ठू राय, अशोक राय और पंकज महली को फांसी की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ ने इस मामले में फिर से ट्रायल करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने इस मामले में दूसरे जज के यहां सुनवाई करने को कहा है। साथ ही तीनों को तत्काल रिहा करने का भी आदेश दिया है। तीनों अभियुक्तों बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं। इनकी ओर से झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार से कानूनी सहायता मांगी गई थी।

जिसके बाद झालसा की ओर अधिवक्ता कुमार वैभव को यह केस सौंपा गया था। उन्होंने तीनों अभियुक्तों को ओर से हाई कोर्ट में निचली अदालत की सजा के खिलाफ अपील दाखिल की गई थी।

निचली अदालत ने सुनाई थी तीनों को फांसी की सजा

सुनवाई के दौरान कहा कि निचली अदालत ने एक माह में ट्रायल को पूरा करते हुए सजा सुना दी है। इस दौरान अभियुक्तों को पर्याप्त मौका नहीं दिया गया। हड़बड़ी में न्यायिक प्रक्रिया सही तरीके से पूरी नहीं की गई है। ऐसे में अभियुक्तों की सजा निरस्त की जाए।

अदालत ने सभी पक्षों को बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि निचली अदालत के जज ने अपनी ड्यूटी सही तरीके से नहीं निभाई है।

ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने ने पहले से ही सजा देने मन बना लिया था और उसी के तहत फांसी की सजा का आदेश पारित किया है। अदालत ने उक्त आदेश को ज्यूडिशियल एकेडमी में भेजकर जजों को ट्रेनिंग में प्रयोग लाने का निर्देश दिया है।

क्या है पूरा मामला

दुमका के रामगढ़ थाना क्षेत्र में की रहने वाली छह साल की बच्ची अपने माता-पिता के साथ नानी के घर गई थी। वहां मेला लगा हुआ था। इस दौरान गांव का ही मिट्ठू राय ने बच्ची के माता-पिता से कहा कि वह बच्ची को मेला दिखा लाएगा।

आरोप है कि मिट्ठू अपने दोस्त अशोक राय और पंकज महली के साथ बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म करते हुए उसकी हत्या कर देता है। अगले दिन बच्ची का शव मिलता है।

सात फरवरी को बच्ची के पिता ने थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई। दस फरवरी को पुलिस अभियुक्त को महाराष्ट्र से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। ट्रायल पूरा होने के बाद तीन मार्च 2020 को निचली अदालत तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी।

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