असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में सरकारी डॉक्टरों को प्राथमिकता देने पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ मेडिकल कॉलेज में सहायक प्राध्यापक (असिस्टेंट प्रोफेसर) की नियुक्ति में राज्य में कार्यरत सरकारी चिकित्सकों को प्राथमिकता देने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के बाद अदालत ने जेपीएससी की ओर से सरकारी चिकित्सकों को प्राथमिकता देने से संबंधित जारी प्रेस रिलीज पर रोक लगा दी। जेपीएससी ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया था कि झारखंड स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारी से ही इन पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगा गया था।

अदालत ने कहा कि अगर प्रार्थी विज्ञापन की शर्तों को पूरा करते हैं और क्वालिफाइ करते हैं, तो उनकी नियुक्ति पर विचार किया जाए। अदालत ने कहा कि याचिका के लंबित रहने तक नियुक्ति प्रभावित नहीं होगी। इसके साथ ही अदालत ने सरकार और जेपीएससी से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 9 जनवरी 2024 को होगी।

असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली को दी चुनौती

इस संबंध में मनीष कुमार मुंडा सहित अन्य की ओर से झारखंड चिकित्सा शिक्षा सेवा नियमावली 2018 की संशोधित नियमावली 2021 को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। प्रार्थी के अधिवक्ता अमृतांश वत्स का कहना था कि कहना था कि जेपीएससी की प्रेस रिलीज नियुक्ति प्रक्रिया के बीच में जारी की गई है।

जेपीएससी ने वर्ष 2022 में झारखंड के मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 110 पदों के लिए विज्ञापन निकला था। विज्ञापन में झारखंड स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारी को नियुक्ति में प्राथमिकता देने की व्याख्या नहीं की गई थी, सिर्फ संशोधित नियमावली की अधिसूचना की संख्या दी गई थी।

प्रार्थी ने संशोधित नियमावली 2021 का हवाला देते हुए कहा कि उक्त नियमावली संविधान के आर्टिकल 16 यानी समानता के खिलाफ है। इस नियमावली के कारण प्रार्थी, जो झारखंड के मूल निवासी हैं और उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई यहीं से की है और चिकित्सा के रूप में यही प्रैक्टिस कर रहे हैं नियुक्ति से बाहर हो गए।

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में नई नियमावली से स्थानीय एवं सरकारी नौकरी वालों को अप्रत्यक्ष रूप से आरक्षण दिया गया है। हालांकि सरकारी चिकित्सक को विज्ञापन में अलग से 10 नंबर दिए गए हैं। इसलिए विज्ञापन को निरस्त किया जाना चाहिए।

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