Cyber Fraud के लिए जामताड़ा बदनाम, इसे रोकने और पैसे वापसी के लिए सरकार करे पहल, HC का निर्देश

Jharkhand High Court: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) साइबर ठगी (Cyber Fraud) के शिकार लोगों के पैसे वापस करने के लिए झारखंड सरकार (Jharkhand Government) से एक स्कीम तैयार कर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत ने सरकार को शपथपत्र के माध्यम से पांच दिसंबर तक जानकारी देने करने का निर्देश दिया है।

मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की अदालत ने सरकार को यह निर्देश दिया। अदालत ने राज्य के गृह विभाग, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति को भी प्रतिवादी बनाया है और जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही इंडियन साइबर क्राइम को- ऑर्डिनेशन सेंटर से भी सुझाव देने को कहा है।

सुनवाई के दौरान सीआईडी (CID DG) के डीजी अनुराग गुप्ता भी कोर्ट में हाजिर हुए थे। उन्होंने अदालत को साइबर अपराध की जांच प्रणाली, साइबर सेल और साइबर ठगी रोकने के उपाए की जानकारी दी। महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार साइबर अपराध की घटनाओं को लेकर चिंतित है।

उन्होंने बताया कि गुजरात में साइबर क्राइम (Cyber Fraud) के शिकाल लोगों के पैसे वापस करने के लिए एक मॉडल तैयार किया गया है। लेकिन उसमें भी कई कानूनी अड़चने हैं। झारखंड सरकार गुजरात मॉडल से भी बेहतर मॉडल बनाने का प्रयास कर रही है।

HC ने कहा कैसे रोकेंगे Cyber Fraud

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकार यह देखे कि साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) को कैसे कंट्रोल किया जाए। उसके शिकार लोगों के अकाउंट में पैसा कैसे वापस किया जाए। इसके लिए एक स्कीम तैयार किया जाना चाहिए। सरकार इस संदर्भ में एक प्रस्ताव तैयार कर शपथ पत्र के माध्यम से उसे प्रस्तुत करे।

अदालत ने मौखिक कहा कि साइबर प्रॉड (Cyber Fraud) के लिए जामताड़ा जिला काफी चर्चित है। इस अपराध की रोकथाम और पीड़ितों को पैसा वापस करने के लिए झारखंड से एक बेहतर पहल होनी चाहिए। अदालत ने इस मामले में इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर से भी सुझाव मांगा है। उससे पूछा है कि साइबर क्राइम रोकने के लिए क्या प्रणाली है। लोगों की पैसे वापसी में उसकी क्या भूमिका हो सकती है।

हाईकोर्ट में साइबर अपराध (Cyber Fraud) की बढ़ती घटना और खाते से पैसे उड़ाए जाने को लेकर हाईकोर्ट को एक पीड़ित ने पत्र लिखा है। इसमें अदालत से पीड़ितों के पैसे वापस करने का आग्रह किया गया है। इस पत्र पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत इसे जनहित याचिका में तब्दील कर सुनवाई कर रहा है।

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