झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में साहिबगंज में अवैध खनन मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और ईडी के वादाखिलाफ गवाह विजय हांसदा सहित अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली सीबीआई की याचिका पर सुनवाई हुई।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सीबीआई की याचिका को गलत बताते हुए याचिका खारिज कर दिया। बता दें कि 18 अगस्त को अदालत ने विजय हांसदा के मामले में सुनवाई करते हुए सीबीआई को मामले में प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया था।
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल अनिल कुमार ने कहा कि अवैध खनन की प्रारंभिक जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच करने के लिए कोई निर्देश नहीं है। इसलिए 18 अगस्त के आदेश में संशोधन की आवश्यकता है।
इस पर महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि एक बार आपराधिक मामले का निपटारा हो जाने के बाद नियमानुसार अदालत कोई भी आदेश पारित नहीं करती है। ऐसे में पहले के आदेश में संशोधन की कोई जरूरत नहीं है।
अदालत ने अपने आदेश में 18 अगस्त के आदेश की सीबीआई की ओर से गलत व्याख्या पर नाराजगी जताई। अदालत ने सीबीआई की याचिका को गलत बताते हुए पूर्व के आदेश में संशोधन करने की मांग खारिज कर दी।
विजय हांसदा ने की थी अवैध खनन की शिकायत
पूर्व में अदालत ने विजय हांसदा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए सीबीआई से एससी-एसटी मामले के आरोपित पंकज मिश्रा सहित अवैध खनन के मामले की प्रारंभिक जांच करने को कहा था। अदालत ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के बाद सीबीआई निदेशक को कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा था कि अगर सीबीआई निदेशक को लगता है कि मामले में आगे जांच करने का कोई कारण नहीं है, तो वह
उचित आदेश पारित कर सकते हैं। विजय हांसदा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि पिछले ढाई साल से पत्थर माफिया उनके जिले के खनन अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध खनन कर रहे हैं।
सीबीआई ने अपनी प्रारंभिक जांच में ईडी के गवाह मुकेश यादव और अशोक यादव द्वारा दाखिल मामले को सही पाया, जिसमें कहा गया था कि विजय हांसदा ने कभी पंकज मिश्रा के प्रभाव में काम किया था। हाई कोर्ट परिसर में विजय हांसदा के साथ मारपीट के आरोप भी सही है।
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