मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए फैसले में कहा है कि गैर-सरकारी नौकरी में समय-समय पर वेतन वृद्धि या सालाना वेतन वृद्धि पाने वाले व्यक्ति को स्थायी कर्मचारी माना जा सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने सड़क दुर्घटना के मुआवजे में इजाफे के लिए दायर रीवीजन (पुनरीक्षण) याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट ने मुआवजे में 2.7 लाख रुपये से अधिक की वृद्धि की।
यह है पूरा मामला
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता अंजुम अंसारी ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत एक दावे में ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए मुआवजे को चुनौती दी थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि वह अधिक राशि की हकदार थी, क्योंकि उसके दिवंगत पति राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (मध्य प्रदेश की अम्ब्रेला टेक विश्वविद्यालय) से एफिलिएटिड (संबद्ध) एक निजी कॉलेज में पढ़ाते थे।
याचिका में तर्क दिया गया कि चूंकि वह कॉलेज के स्थायी कर्मचारी थे, इसलिए दावा किया गया कि कोर्ट को ‘भविष्य की संभावनाओं’ की राशि की गणना 10 प्रतिशत के बजाय 15 फीसदी की दर से करनी चाहिए थी। वहीं दूसरी पार्टी ने तर्क दिया कि केवल सरकारी कर्मचारियों को ही स्थायी कर्मचारी माना जाता है और निजी कॉलेज के कर्मचारी को इस तरह से ट्रीट नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने फैसले में क्या कहा
जस्टिस एके पालीवाल ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी बनाम प्रणय सेठी मामले में पांच जजों की पीठ के आदेश का हवाला देते हुए कहा, ‘यदि कोई व्यक्ति ऐसी नौकरी में है, जिसमें उसका वेतन समय-समय पर बढ़ता है/वार्षिक वेतन वृद्धि आदि मिलती रहती है, तो ऐसे व्यक्ति को स्थायी नौकरी में माना जाएगा।’ जस्टिस पालीवाल ने कहा कि ट्रिब्यूनल कोर्ट ने कानून के अनुसार 15 प्रतिशत के बजाय 10 फीसदी पर ‘भविष्य की संभावनाओं’ तथ्य की गणना करने में गलती की है, और अंजुम को दिए जाने वाले मुआवजे में 2,72,260 रुपये के इजाफे का आदेश दिया। अब याचिकाकर्ता को दिया जाने वाला मुआवजा 36.9 लाख रुपये हो गया है।