High Court: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की अदालत में प्राथमिक शिक्षकों की प्रोन्नति से संबंधित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य में शिक्षकों की हो रही प्रोन्नति पर रोक लगा दी है। अदालत ने मामले में सरकार से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी। इस संबंध में विशाल प्रताप देव ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता सौरभ शेखर ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों को ग्रेड चार से ग्रेड सात में प्रोन्नति दे रही है।
प्रोन्नति नियमावली 1993 में कहा गया था कि ग्रेड सात में प्रोन्नति पाने के लिए शिक्षकों की पांच साल पूरा करना होगा। अब प्रोन्नति की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन इसमें सीधी भर्ती होने वाले प्रशिक्षित ग्रेजुएट टीचर को सूची से हटा दिया गया है। पूर्व में विवाद होने पर राज्य सरकार ने एक कमेटी बनाई थी। जिसने ग्रेड एक से ग्रेड चार तक प्रोन्नति पाने वाले शिक्षकों को लाभ देने के लिए नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव दिया, जिसमें कहा गया कि अब ग्रेड सात में प्रोन्नति पाने के लिए सीधी भर्ती से नियुक्त शिक्षकों को दस साल की आहर्ता होनी चाहिए।
जबकि प्रोन्नति के जरिए ग्रेड चार तक पहुंचने वाले शिक्षकों की आहर्ता को शिथिल कर दिया गया। उनकी ओर से अदालत को बताया गया कि सीधी भर्ती पाने शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2015 में हुई थी। जबकि अन्य शिक्षकों की ग्रेड चार में प्रोन्नति वर्ष 2017 में हुई थी। ऐसे में वे सीधी भर्ती वाले शिक्षकों से कनीय हैं। लेकिन सरकार ने नियमों में संशोधन किए ही बिना ही राज्य के कई जिलों में शिक्षकों को ग्रेड सात में प्रोन्नति दे रही है। प्रोन्नति की सूची से सीधी भर्ती वाले शिक्षकों को हटा दिया गया है। पूर्व में अदालत ने सरकार को नियमानुसार कार्य करने का निर्देश दिया था। लेकिन कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। इस पर अदालत ने प्रोन्नति की सारी प्रक्रिया पर रोक लगा दी।