Ranchi: FSL Lab झारखंड हाईकोर्ट में रांची फॉरेंसिक साइंस लैबरोटरी (FSL, Ranchi) में सुविधा बढ़ाने और रिक्त पदों पर नियुक्ति के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने इस बात को लेकर कड़ी नाराजगी जताई कि जब गृह सचिव के आश्वासन के बाद विज्ञापन जारी कर दिया गया तो उसे नियमावली में संशोधन के नाम कैसे वापस ले लिया गया।
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने कहा कि ऐसा करने का अधिकार सरकार को किसने दे दिया, जब यह मामला कोर्ट के समक्ष है और कोर्ट ने तीन माह में सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति करने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान गृह सचिव ने भी इसकी जानकारी कोर्ट को नहीं दी थी।
अदालत ने कहा कि यह कोर्ट के आदेश की अवहेलना है और अवमानना का मामला प्रतीत हो रहा है। अदालत ने कहा कि हर बार सरकार कोर्ट के आदेश को नहीं मानती है। विज्ञापन वापस लेने से पहले किसी को भी इसकी जानकारी कोर्ट के देनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
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इस दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से कहा गया कि विज्ञापन वापस लेने का अधिकार सरकार को है, क्योंकि नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाई जानी है। जल्द ही नियमावली बनेगी और फिर से विज्ञापन जारी किया जाएगा। इस पर अदालत ने कहा कि सब ज्यूडिश मैटर में सरकार ऐसा कर सकती है।
अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि समस्या यही है कि महाधिवक्ता को राज्य सरकार की शक्ति का पता है, लेकिन कोर्ट की शक्ति की जानकारी उनको नहीं है। इसके बाद अदालत ने 12 नवंबर को गृह सचिव को अदात में पेश होने का आदेश दिया है। ताकि वे पूरे मामले की जानकारी कोर्ट के दे सकें।
बता दें कि धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से बताया गया कि पकड़े गए दो आरोपियों के यूरिन और ब्लड सैंपल की जांच के लिए रांची एफएसएल भेजा गया था। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए सैंपल लौटा दिया था कि यहां पर इसके जांच की सुविधा नहीं है। इसके बाद से कोर्ट इस मामले में भी सुनवाई कर रहा है।