पूर्व विधायक अमित महतो को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, सीओ से मारपीट मामले में मिली है सजा
सिल्ली के पूर्व विधायक अमित महतो को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने अमित महतो को जमानत प्रदान कर दी है। झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अमित महतो ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी।
अमित महतो को रांची की निचली अदालत ने सोनाहातू के अंचलाधिकारी के साथ मारपीट करने का दोषी ठहराते हुए वर्ष 2018 में दो साल की सजा सुनायी थी। इस सजा के खिलाफ अमित महतो ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील की थी।
सजा के खिलाफ अपील दाखिल की थी अमित महतो ने
अमित महतो ने हाई कोर्ट से निचली अदालत का आदेश रद करने का आग्रह किया था। हाई कोर्ट ने दो मई 2023 को निचली अदालत का आदेश तो रद्द नहीं किया, लेकिन सजा की अवधि दो साल से घटा कर एक साल कर दी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि निचली अदालत ने इस मामले में अधिकतम सजा देने का कारण का उल्लेख नहीं किया है। इसके बाद सजा दो साल से घटा कर एक साल कर दी थी।
इसके बाद अमित ने निचली अदालत में सरेंडर किया था और सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। सोमवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अमित महतो को जमानत प्रदान कर दी। अमित महतो फिलहाल खातियानी झारखंडी पार्टी में हैं।
सरकारी जमीन की खरीद बिक्री मामले में दस जनवरी को सुनवाई
सरकारी, गैर मजरूआ और आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री की जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर अब दस जनवरी को सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सभी पक्षों की सहमति से विस्तृत सुनवाई के लिए 10 जनवरी को सुनवाई निर्धारित की।
इस संबंध में शिवशंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि रांची समेत राज्य के कई जिलों में सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत से आदिवासी, सरकारी और गैर मजरूआ जमीन की रजिस्ट्री की गयी है।
जमीन माफिया और सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों ने मिलीभगत से अकूत संपत्ति भी हासिल की है। अदालत से जमीन की खरीद बिक्री और अधिकारियों की संपत्ति की जांच कराने का आग्रह किया गया है।
याचिका में नामकुम, कांके के सीओ, सब रजिस्ट्रार और एक दर्जन सीओ और रांची, खूंटी, गिरिडीह, देवघर, जमशेदपुर धनबाद और अन्य जिलों के सब रजिस्ट्रार को प्रतिवादी बनाया गया है।
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