Ranchi: Fodder scam चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद की ओर बहस की गई। लालू प्रसाद के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने एडिशनल वित्त आयुक्त शंकर प्रसाद की गवाही पर पक्ष रखते हुए कहा गया कि शंकर प्रसाद और बीएस दुबे की रिपोर्ट के बाद चारा घोटाले में प्राथमिकी दर्ज की गई।
शंकर प्रसाद पशुपालन विभाग में अवैध निकासी की शिकायत पर इसकी जांच के लिए रांची आए थे, तो उस दौरान तत्कालीन एडिशनल महालेखाकार उन्हें धमकी भरे लहजे में कहा था कि बेहतर होगा कि आप इस मामले की जांच न करें और इससे दूर रहें।
हालांकि उन्होंने गवाही के दौरान उक्त अधिकारी का नाम नहीं बताया था। क्रास इग्जामिनेशन के समय उन्होंने कहा था कि उक्त अधिकारी का नाम उन्हें याद नहीं है। लेकिन जब यह मामला सामने आया था सीबीआई ने उक्त अधिकारी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।
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जबकि लालू प्रसाद ने इस मामले में तत्काल प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था उसके बाद भी उन्हें आरोपी बना दिया गया है। इस मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में सुनवाई हो रही है। प्रभात कुमार ने कहा कि वर्ष 1991 से 95 तक महालेखाकार की रिपोर्ट में पशुपालन विभाग में वित्तीय अनियमितता या अत्यधिक निकासी का कोई जिक्र नहीं था।
जब वर्ष 1996 में लालू प्रसाद के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज की गई, तो महालेखाकार की रिपोर्ट में पशुपालन विभाग में अत्यधिक निकासी बताते हुए इसे समायोजित करने की बात कही गई। हालांकि इस मामले में अभी बहस जारी रहेगी और बुधवार को भी लालू की ओर से बहस की जाएगी।
बता दें कि चारा घोटाले के इस मामले में कुल 70 आरोपियों की ओर से बहस पूरी कर ली गई है। फिलहाल लालू प्रसाद की ओर से बहस जारी है। करीब एक सप्ताह तक उनकी ओर से बहस की जाएगी। बता दें कि 139.35 करोड़ के अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद सहित 112 आरोपित मुकदमे का सामना कर रहे हैं।