Ranchi: चेशायर होम रोड के एक एकड़ जमीन फर्जीवाड़े में गिरफ्तार कारोबारी विष्णु अग्रवाल को ईडी कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उसे न्यायिक हिरासत में लेते हुए बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार भेज दिया गया।
ईडी ने जमीन फर्जीवाड़े में सोमवार की देर रात गिरफ्तार किया था। ईडी पुलिस रिमांड पर लेकर जमीन फर्जीवाड़े मामले में पूछताछ करेगी।
इसके लिए ईडी बुधवार को आवेदन देगा। ईडी पूछताछ के लिए सात दिनों का आवेदन दिया है। अदालत की अनुमति के बाद ईडी जेल से अपने कब्जे में लेकर पूछताछ करेगी।
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मामले में इससे पूर्व जमीन का फर्जी मालिक गंगाधर राय के पोते राजेश राय और अटॉर्नी होल्डर भरत प्रसाद की गिरफ्तार हो चुकी है।
दोनों आरोपियों से ईडी ने पूछताछ कर चुकी है। ईडी ने बड़गाई अंचल कार्यालय और कोलकाता स्थित रजिस्ट्री कार्यालय में सर्वे करने के बाद जमीन(खाता-37, प्लॉट 28, रकबा एक एकड़, ,वर्ष 1933) संबंधित दस्तावेज जब्त किया गया था।
इसकी जांच गुजरात स्थित फॉरेंसिक लैब भेजा गया था। जहां जांच में जमीन के मूल दस्तावेज में छेड़छाड़ करने, पहले की लिखावट को मिटा कर उसकी जगह दूसरे तथ्यों को जोड़ने की पुष्टी की गई।
बता दें कि जमीन की खरीद-बिक्री मामले में यह तीसरी गिरफ्तारी है। जबकि जालसाजी के मामले में यह 13वीं गिरफ्तारी है। जमीन फर्जीवाड़े में ही रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन भी जेल में है।
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ईडी के रिमांड पत्र में विष्णु अग्रवाल और छवि रंजन के संबंधों का खुलासा
ईडी ने अपनी रिमांड आवेदन में इस बात का जिक्र किया है कि विष्णु अग्रवाल व रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन ने मिलकर जमीन की खरीद-बिक्री में खूब फर्जीवाड़ा किया।
दोनों के बीच सरकारी गोपनीय दस्तावेज का अदान-प्रदान भी हुआ है। दोनों फेसटाइम व वाट्सएप पर बातचीत करते थे और संगठित रूप से इस धंधे में सक्रिय थे।
ईडी ने कोर्ट को बताया है कि विष्णु अग्रवाल छवि रंजन का सहयोग लेने के लिए टूर पैकेज से लेकर फाइव स्टार होटल तक में बुकिंग आदि की सुविधा उपलब्ध कराता था। छवि रंजन ने अपने जान-पहचान के अभ्यर्थी का बायोडाटा भी नौकरी के लिए विष्णु अग्रवाल को शेयर किया था।
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ईडी को अनुसंधान में इस बात की भी जानकारी मिली है कि विष्णु अग्रवाल ने जानबूझकर जमीन की खरीद-बिक्री में फर्जीवाड़ा किया। रांची के सदर थाना क्षेत्र में चेशायर होम रोड स्थित एक एकड़ जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री में विष्णु अग्रवाल को प्रेम प्रकाश ने मदद की थी।
ईडी ने कागजात की अंचल कार्यालय बड़ागाईं व रजिस्ट्रार आफ एश्योरेंस कोलकाता तथा फोरेंसिक ब्यूरो गांधीनगर में जांच कराई थी।
रजिस्ट्रार आफ एश्योरेंस ने फर्जीवाड़ा मामले चार सदस्यीय समिति गठित कर जांच कराई और इसके बाद कोलकाता के हेयर स्ट्रीट थाने में 10 मई 2023 को जालसाजी से संबंधित धाराओं में कांड संख्या 137/2023 दर्ज कराई थी।
- छवि रंजन ने विष्णु अग्रवाल को फर्जी तरीके से इन जमीन की खरीद-बिक्री में मदद पहुंचाई
- चेशायर होम रोड के गाड़ी गांव मौजा के खाता नंबर 37 के प्लाट नंबर 28 स्थित एक एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री मामले में।
- नामकुम अंचल के पुगडू मौजा स्थित खाता नंबर 93, प्लाट नंबर 543, 544, 546 व 547 में 9.30 एकड़।
- सिरमटोली में वार्ड नंबर छह स्थित एमएस प्लाट नंबर 908, 851 व 910 में 5.883 एकड़।
छवि रंजन ने विभागीय आदेश को नहीं माना
ईडी जांच में खुलासा हुआ है कि रांची के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन ने विभाग के आदेश को दरकिनार कर विष्णु अग्रवाल को लाभ पहुंचाया था।
उन्होंने जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र में नामकुम अंचल के पुगड़ू मौजा में खासमहाल की 9.30 एकड़ जमीन के लिए एसआइटी जांच व उसकी समीक्षा संबंधित राजस्व एवं भूमि निबंधन विभाग के आदेश को भी दरकिनार कर दिया था।
तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन ने विभाग को स्पष्ट कर दिया था कि उसकी विशेष जांच दल (एसआइटी) से जांच कराने व समीक्षा का कोई औचित्य नहीं है। इससे संबंधित दस्तावेज भी ईडी के पास उपलब्ध हैं।
राजस्व एवं भूमि निबंधन विभाग ने छवि रंजन को पुगड़ू मौजा खाता नंबर 93 में प्लाट नंबर 543, 544, 545, 546 व 547 में 9.30 एकड़ जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री मामले एसआइटी जांच व समीक्षा के लिए लिखा था।
15 करोड़ की जमीन में 12 करोड़ का नहीं मिला हिसाब
सिरमटोली चौक के पास वार्ड नंबर छह स्थित एमएस प्लाट नंबर 908, 851 व 910 में 5.883 एकड़ सेना के कब्जे में है। इस जमीन को विष्णु अग्रवाल ने गलत तरीके से खरीद-बिक्री की थी और रांची के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन की मदद की मदद से फर्जीवाड़ा किया था।
विष्णु अग्रवाल को लाभ पहुंचाने के लिए छवि रंजन ने पांच जुलाई 2022 को एक आदेश पारित किया था। उन्होंने जिला अभिलेखागार व तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी से पूछा था कि अगर उक्त जमीन का भू-अर्जन हुआ है तो उसका विस्तृत ब्योरा दें।
इससे संबंधित दस्तावेज भी ईडी के पास उपलब्ध हैं। इस जमीन की डीड में 15 करोड़ रुपये में खरीदे जाने का जिक्र है। ईडी ने अनुसंधान में पाया कि सिर्फ तीन करोड़ रुपये के भुगतान का ही खुलासा हुआ है। शेष 12 करोड़ रुपये चेक से भुगतान का जिक्र है, जिसका वैध प्रमाण अब तक नहीं मिल पाया है।
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जांच में पता चला कि उक्त जमीन के लिए विष्णु अग्रवाल ने महुआ मित्रा को छह फरवरी 2018 को डेढ़ करोड़ रुपये एनईएफटी, संजय घोष को एनईएफटी से डेढ़ करोड़ रुपये, महुआ मित्रा को चेक से पांच करोड़, 92 लाख 50 हजार रुपये, संजय घोष को चेक से पांच करोड़ 92 लाख 50 हजार रुपये, टैक्स के रूप में 15 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
इस तरह उक्त जमीन के लिए कुल 15 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इस 15 करोड़ रुपये में महुआ मित्रा को अनुश्री अग्रवाल के खाते से डेढ़ करोड़ व संजय घोष को विष्णु अग्रवाल के खाते से डेढ़ करोड़ रुपये का भुगतान हुआ।
चेक से महुआ मित्रा को पांच करोड़ 92 लाख 50 हजार व संजय घोष को पांच करोड़ 92 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान डीड में दिखा गया था, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।