High Court: हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान से दर्ज याचिका पर सुनवाई के दौरान मौखिक कहा कि राजधानी रांची के सुखदेव नगर थाना क्षेत्र, बिरसा चौक आदि क्षेत्रों में अफीम, चरस, गांजा का कारोबार फल फूल रहा है। पुलिस को सख्ती से इस पर अंकुश लगाना होगा। रांची शहर में बार एवं रेस्टोरेंट देर रात खुले रहते हैं, जिससे हत्या सहित अन्य अप्रिय घटनाएं होती रहती हैं। पुलिस की जिप्सी बार एवं रेस्टोरेंट के समीप खड़ी रहती है और इन पर किसी तरह का एक्शन नहीं लेती है।झारखंड हाईकोर्ट ने शहर के विभिन्न इलाकों में अवैध रूप से शराब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए एसओपी तैयार कर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। सोमवार को स्वत: संज्ञान लिए मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ बिद्युत रंजन सांरगी और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सरकार को यह निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि पुलिस अफीम, चरस, गांजा की बिक्री पर रोक लगाने के लिए लगातार कई छापेमारी कर रही है और कई लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर गांजा के साथ अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। राज्य सरकार कमेटी बनाकर बार एवं रेस्टोरेंट के बंद होने के समय पर नजर रख रही है। बार एवं रेस्टोरेंट में नियमों का उल्लंघन पर उत्पाद विभाग कड़ी कार्रवाई कर रहा है। राज्य सरकार बिना लाइसेंस के गलत ढंग से शराब बिक्री करने वालों पर सख्ती कर रही है।
इस पर अदालत ने मौखिक कहा कि शराब के व्यापार में सरकार को राजस्व का लाभ होता है, लेकिन मोहल्ले, लोगों के घर के आस-पास, मंदिरों के आसपास शराब बिक्री से आम लोगों के लिए मुश्किल होता है। ऐसी जगह पर शराब बिक्री का लाइसेंस न दिया जाए। कई ऐसे भी रेस्टोरेंट है जिन्होंने बार का लाइसेंस नहीं लिया है और उनके यहां शराब पीने की व्यवस्था रहती है। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
नशे के सौदागरों का नेटवर्क ध्वस्त करेंः
कोर्ट ने कहा कि नशे के सौदागर युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। झारखंड में नशे के शिकार युवा रिनपास में भर्ती हो रहे हैं और जीवन व मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। झारखंड में अफीम, गांजा, चरस आदि का धड़ल्ले से बिकना अभिभावकों, राज्य सरकार एवं कोर्ट के लिए चिंता का विषय है। ड्रग्स माफिया के नेटवर्क को ध्वस्त करना होगा, इनका नेटवर्क दूसरे राज्यों से लेकर विदेशों तक रहता है