झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य में खनिजों के खनन, परिवहन व ओवर लोडिंग को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन व जस्टिस सुभाष चंद की खंडपीठ ने अपने आदेश में खान एवं खनिज विकास विनियमन (एमएमडीआर) एक्ट के तहत उपायुक्तों को सरकारी संपत्ति घोषित करने के अधिकार को अवैध बताया है।
अदालत ने झारखंड खनिज (अवैध खनन की रोकथाम परिवहन और भंडारण) नियमावली की धारा 11 (वी) को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह नियमावली खान एवं खनिज विकास विनियमन एक्ट का विरोधाभाषी है। एक्ट के अनुसार सरकारी संपत्ति घोषित करने का अधिकार निचली अदालत को है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि जब तक इस मामले को लेकर विशेष कोर्ट का गठन नहीं होजाता है, तब तक ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (जेएम) प्रथम के यहां इसकी कार्रवाई होगी। अब तक जो भी कार्य उपायुक्त के स्तर से होता था वह अब जेएम प्रथम के स्तर से किया जाएगा।
इस संबंध में आदित्य इंटरप्राइजेज सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। प्रार्थियों की ओर अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पक्ष रखा। अदालत को बताया गया कि बिना चालान, बिना परमिट और ओवर लोडिंग होने पर डीएमओ कार्रवाई करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराते थे। इसके बाद उन जिलों के उपायुक्त प्रोसिडिंग चलाते हुए उसे सरकारी संपत्ति घोषित कर देते थे।
उपायुक्त झारखंड खनिज (अवैध खनन की रोकथाम, परिवहन और भंडारण) नियमावली के तहत ऐसा करते थे। लेकिन यह नियमावली खान एवं खनिज विकास विनियमन एक्ट के विरुद्ध है, क्योंकि खान एवं खनिज विकास विनियमन एक्ट में डीसी को स्पष्ट अधिकार नहीं दिया गया है। इसलिए इसको असंवैधानिक घोषित कर देना चाहिए। इसके बाद अदालत ने नियमावली धारा 11 (वी) को असंवैधानिक घोषित कर दिया है।