रांचीः कोरोना संकट के चलते (Jharkhand High Court) झारखंड हाईकोर्ट में (Online Case) वर्चुअल सुनवाई हुई। लेकिन इस दौरान हाईकोर्ट ने बहुत महत्वपूर्ण मामलों में अपना फैसला दिया है।
बिहार के बाहुबली सांसद (MP Prabhu Nath Singh) प्रभुनाथ सिंह व उनके भाईयों और झारखंड के पूर्व मंत्री हरिनारायण राय को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा। अदालत ने इनकी अपील खारिज कर दी।
लेकिन चारा घोटाला में सजा काट रहे (Lalu Yadav) लालू प्रसाद को एक मामले में हाईकोर्ट से राहत मिली। बहरहाल लालू प्रसाद अभी भी जेल में है। वर्ष 2021 में ही उन्हें जमानत मिलेगी।
तो आइए आपको बताते हैं कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2020 में कौन-कौन से महत्वपूर्ण मामलों में अपना फैसला सुनाया है।
लालू प्रसाद को एक मामले में मिली राहत
चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे लालू प्रसाद के लिए वर्ष 2020 थोड़ी राहत लेकर आया था। इस दौरान लालू प्रसाद को चाईबासा कोषागार मामले में जमानत मिली।
यहां तक की उन्हें इलाज के लिए रिम्स के निदेशक बंगले में रखा गया। लेकिन उनकी एक गलती ने उनसे बंगला छिन लिया। फोन प्रकरण को लेकर सीबीआई भी उन्हें जेल भेजने की मांग कर रही है।
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लालू प्रसाद को कुल चार मामलों में सजा मिली है। इसमें तीन मामलों में उन्हें जमानत मिल गई है, ऐसे में अगल लालू प्रसाद को दुमका वाले मामले में जमानत मिली तो वे जेल से बाहर होंगे।
बाहुबली सांसद प्रभुनाथ सिंह की सजा बरकरार
बिहार के मशरख के विधायक अशोक सिंह हत्याकांड मामले में सांसद प्रभुनाथ सिंह व उनके भाईयों को झारखंड हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई। अदालत ने इनकी अपील खारिज कर दी।
हालांकि इससे पहले प्रभुनाथ सिंह की अपील पर सुनवाई करने से हाईकोर्ट के कई जजों ने इन्कार कर दिया था। बाद में एक अलग बेंच गठित की गई।
कई दिनों तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जबतक अदालत फैसला सुनाती उससे पहले ही लॉकडाउन लागू हो गया।
इसके बाद कई तिथियों पर फैसला टलने के बाद अंततः अदालत ने निचली अदालत की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखते हुए इनकी अपील खारिज कर दी।
पूर्व मंत्री हरिनारायण राय की अपील खारिज
झारखंड के पूर्व मंत्री हरिनारायण राय को भी हाईकोर्ट से झटका लगा और अपील खारिज होते ही सीबीआई ने उन्हें उनकी पत्नी के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
हरिनारायण राय को आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ इन्होंने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।
सुनवाई के बाद अदालत ने निचली अदालत की सजा को बरकरार रखा और इनकी अपील खारिज कर दी। इन्हें कोर्ट में सरेंडर करना था, लेकिन इससे पहले ही ये गिरफ्तार हो गए।