झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में खदान आवंटन से जुड़े मामले में जेएसएमडीसी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने पूर्व में दिए गए अंतरिम आदेश को बरकरार रखते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
सुनवाई के दौरान जेएसएमडीसी के अधिवक्ता रूपेश सिंह ने अदालत को बताया कि इस मामले में केंद्र सरकार ने एकल पीठ के स्थगन आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की है। इसके बाद अदालत ने अपील पर सुनवाई पूरी होने के बाद
इस मामले में सुनवाई किए जाने की बात कही।
अधिवक्ता रूपेश सिंह ने बताया कि वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने जेएसएमडीसी को पाताल इस्ट कोयला खदान आवंटित किया था। जेएसएमडीसी को इसमें खनन करना था। उसने सीएमपीडीआइ से इस खदान की आर्थिक संभावना की रिपोर्ट मांगी।
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सीएमपीडीआइ ने कहा कि यह खदान आर्थिक रूप से फायदे का सौदा नहीं है, क्योंकि इसमें ओवर बर्डन बहुत अधिक है। उसके निकालने की लागत कोयले की लागत से कहीं अधिक होने की संभावना है और खनन लीज के 25 सालों में 24 साल तक घाटा ही होगा।
इसके बाद जेएसएमडीसी ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि पाताल पूर्वी कोल खदान के बदले उन्हें दूसरी खदान आवंटित कर दी जाए या फिर उनकी 82 करोड़ रुपय वापस कर दी जाए। केंद्र सरकार ने 11 अक्टूबर 2020 को पाताल इस्ट कोल खदान के आवंटन को रद कर दिया और 82 करोड़ रुपये जब्त करने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी।
जेएसएमडीसी ने केंद्र सरकार के फैसले खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने एक दिसंबर 2020 को 82 करोड़ की जब्ती की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।
इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से अब तक जवाब दाखिल नहीं किया गया है। केंद्र सरकार ने एकल पीठ के अंतरिम आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी है।