Prayagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू और मुस्लिम पक्षकार बीते दिनों अपनी बहस पूरी कर चुके हैं। जिसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है।
हाईकोर्ट के आदेश पर हाजिर हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अतिरिक्त महानिदेशक ने ज्ञानवापी सर्वेक्षण में अपनाई जाने वाली तकनीक की जानकारी कोर्ट को दी थी। जिससे इस मामले को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
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इस दौरान एएसआई ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण से ज्ञानवापी की इमारत को खरोंच तक नहीं आएगी। लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया।
ज्ञानवापी सर्वे पर हाई कोर्ट में फैसला सुरक्षित
इस बीच तीन दिन तक चली सुनवाई के बाद 27 जुलाई को फैसला सुरक्षित करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्वे पर लगी रोक जारी रखने का आदेश दिया था।
इस मामले में वाराणसी के जिला जज के ज्ञानवापी सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले आदेश को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश पर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
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मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच सुनवाई कर रही है।
ज्ञानवापी सर्वे पर मुस्लिम पक्ष ने उठाए सवाल
अंजुमन के वकील एसएफए नकवी ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि निचली कोर्ट के वाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) न तो पक्षकार है, न ही परिसर सर्वेक्षण का अदालती आदेश कानूनी रूप से तामील हुआ है।
अफरातफरी में एएसआई ने सर्वेक्षण शुरू कर दिया, जो ज्ञानवापी परिसर को नुकसान पहुंचाने की पूर्वनियोजित प्रक्रिया है।
नकवी ने बताया कि हिंदू पक्ष जिसे शिवलिंग बता रहा है, वह फव्वारा है। ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का जिला जज का आदेश असामयिक है, क्योंकि अभी तक लंबित केस में कोर्ट ने वाद बिंदु तय नहीं किए हैं।
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नकवी ने यह भी आरोप लगाया कि अदालत के आदेश का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश हो रही है। मुस्लिम पक्ष को आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल करने तक का अवसर नहीं दिया गया।
उन्हाेंने कहा कि अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस का दंश देश ने झेला है। सिविल वाद में पोषणीयता का बिंदु तय किये बिना जल्दबाजी में सर्वेक्षण और खोदाई का फैसला घातक हो सकता है।
एएसआई ने मुस्लिम पक्ष की दलील खरिज की
दूसरी ओर एएसआई ने मुस्लिम पक्ष की इस दलील को सिरे से खारिज किया था। एएसआई की ओर से कहा गया कि सर्वेक्षण के लिए अपनाई जाने वाली तकनीक से ज्ञानवापी की मूल संरचना को खरोंच तक नहीं आएगी।
वहीं हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन और सौरभ तिवारी ने दलील देते हुए कहा कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण के जरिए वे ज्ञानवापी की सच्चाई सामने लाना चाहते हैं।
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उन्होंने कहा कि एएसआई को अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मामले में भी पक्षकार नहीं बनाया था। वाद के किसी भी स्तर पर विशेषज्ञ की राय ली जा सकती है।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में मौजूद रहे उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने कहा कि याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार पक्षकार तो नहीं हैं।
लेकिन, सर्वेक्षण होने की स्थिति में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने को राज्य सरकार तैयार है। इन सबके बीच हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की लगाई गई रोक को बरकरार रखते हुए निर्णय सुरक्षित रखा था।
इसके बाद ज्ञानवापी सर्वेक्षण पर मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगी। इस फैसले के साथ तय हो जाएगा कि ज्ञानवापी का एएसआई सर्वेक्षण होगा या नहीं।