रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने हजारीबाग की नाबालिग को एसिड पिलाने के मामले में पुलिसिया जांच पर कड़ी नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने कहा कि इस मामले अब की जांच से प्रतीत होता है कि पुलिस लीपापोती कर रही है। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि इस मामले में अगर ऐसा प्रतीत हुआ कि जांच सही दिशा में नहीं है तो वह इस मामले की जांच सीबीआई को भी सौंप सकती है। इसके बाद अदालत ने मामले की जांच अधिकारी और हजारीबाग एसपी को तलब किया है।
सरकार के जवाब में विरोधाभाष है। पहले कहा जाता है कि मामले का आरोपी फरार है और पुलिस उसे ट्रेस नहीं कर पा रही है, जबकि दूसरी बार में यह कहा जाता है कि आरोपित पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए तैयार है। दरअसल, हजारीबाग के इचाक की रहने वाली नाबालिग को एसिड पिलाने का मामला सामने आया था। मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था। इस पर संज्ञान लेकर अदालत मामले की सुनवाई कर रही है।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि पुलिस जांच में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है, जिससे आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जाए। इस पर अदालत ने कहा कि इस मामले में दस साल से लेकर उम्रकैद तक सजा होने वाली धारा लगाई गई है, ऐसे में आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करनी चाहिए। पुलिस जांच से प्रतीत हो रहा है कि दोषी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
गौरतलब है कि हजारीबाग की इचाक रहने वाली एक नाबालिग को एसिड पिला दिया गया था। इसकी रिपोर्ट अखबार में छपी थी। इसके बाद अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना के चलते लड़की दो माह तक बोलने में असमर्थ थी।