Bangladeshi Infiltrators: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ में झारखंड के संताल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ पर रोकथाम को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह संताल परगना क्षेत्र के सभी उपायुक्तों को निर्देश दें कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिह्नित कर उनके वापस भेजने की कार्य योजना पर काम करें। अदालत ने मामले में राज्य सरकार को दो सप्ताह में शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।
पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान और उन पर सिटीजन अमेंडमेंक्ट एक्ट (सीएए) से कार्रवाई संभव नहीं है। सीएए से नागरिकता मांगने वालों की जांच पड़ताल के बाद भारत की नागरिकता दी जाएगी। बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने एवं उनपर कार्रवाई के लिए सीएए नहीं है।
राज्य सरकार की ओर से बताया गया था कि एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जिसमें केंद्र सरकार के सहयोग से बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान की जाएगी। इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता से कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठ की पहचान करने का मामला गंभीर है। इसलिए इस पर केंद्र सरकार से निर्देश लेकर लेकर जवाब दाखिल करें। मामले की अगली सुनवाई पांच जून को होगी।
अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा था कि सीएए के तहत केंद्र सरकार संथाल परगना के पांच जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों पर सीधा एक्शन ले सकती है या नहीं। इस पर राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया था कि झारखंड के संताल परगना के पांच जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों पर एक्शन केंद्र सरकार ले सकती है। राज्य सरकार की इसमें ज्यादा भूमिका नहीं है। अभी केंद्र सरकार द्वारा सीएए के लागू होने के बाद स्थितियां बदली है। पड़ोसी देश के कुछ अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी।
यह है पूरा मामला
डानियल दानिश ने याचिका दाखिल कर कहा है की जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज आदि झारखंड के सीमावर्ती इलाके से बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड आ रहे हैं। इन जिलों में बड़ी संख्या में मदरसा स्थापित किया जा रहा है। साथ ही स्थानीय ट्राइबल के साथ वैवाहिक संबंध बनाया जा रहा है। प्रार्थी ने मांग की है कि इस मामले में भारत सरकार का गृह मंत्रालय रिपोर्ट दाखिल करे और बताएं कि झारखंड के बॉर्डर इलाके से कैसे बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड आ रहे हैं और उनके द्वारा झारखंड में कैसे लोगों को गुमराह कर वैवाहिक संबंध स्थापित किया जा रहा है।