Amended laws: झारखण्ड न्यायिक अकादमी के दिशा-निर्देश पर न्यायायुक्त-सह-डालसा अध्यक्ष रांची दिवाकर पांडे के मार्गदर्शन में शनिवार को कांके रोड के जज कॉलोनी स्थित मल्टी पर्पस हॉल में नये आपराधिक कानून जो कि 1 जूलाई, 2024 से लागू होनेवाले हैं, उस पर दिवाकर पांडे की अध्यक्षता में बैठक कर आपराधिक कानून पर गहन चर्चा की गयी। इसके लिए सभी न्यायिक पदाधिकारियों को 10 अलग-अलग समूह में बांटा गया और सभी को नये कानून से संबंधित एक-एक खण्ड दिया गया था, जिस पर न्यायिक पदाधिकारियों ने गहन मंथन किया और उक्त विषय पर अपना-अपना मंतव्य देकर जानकारी एक-दूसरे से साझा किया।
इसके अलावा दो महत्वपूर्ण सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों पर गहन चर्चा की गयी, जिनमें टरसेम लाल बनाम डायरेक्टोरेट इंफोरर्समेंट, जलंधर जोनल ऑफिसर एवं बाबू साहेबागौड़ा बनाम स्टैट ऑफ कर्नाटका है। अभियुक्तों के कोर्ट में बेल एवं उनकी उपस्थिति से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की गयी। इस अवसर पर न्यायायुक्त दिवाकर पांडे ने भी नये आपराधिक कानून के बदले हुए प्रवधानों के बारे में विस्तार से जानकारी न्यायिक पदाधिकारियों के बीच साझा की। मौके पर सभी न्यायिक पदाधिकारियों के साथ-साथ विधि के छात्र-छात्राएं, न्यायालयकर्मी आदि उपस्थित थे। बता दें कि एक जुलाई सोमवार से नये संशोधित कानून प्रभावी हो जाएगा। नए दर्ज होने वाले मामले भी अब संशोधित कानून के तहत दर्ज की जाएगी।
भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं :
न्यायिक पदाधिकारियों ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बारे में विस्तार से अध्ययन किया। बता दें कि भारतीय न्याय संहिता में कुल 358 धाराएं हैं और उसमें 20 नए अपराध को परिभाषित किया गया है। जिनमें स्नेचिंग से लेकर मॉब लिंचिंग शामिल किया गया है। साथ ही 33 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है। साथ ही 83 ऐेसी धाराएं या अपराध हैं जिनमें जुर्माने की राशि भी बढ़ा दी गई है। ऐसे 23 अपराध हैं जिनमें न्यूनतम सजा का जिक्र नहीं था। जिसमें न्यूनतम सजा को शुरू किया गया है। बता दें कि हाल में केंद्र सरकार ने आईपीसी, सीआरपीसी में बदलाव करते हुए नए कानून को लागू कर रही है। उक्त तीनों नए कानून एक जुलाई से प्रभावी होंगे।
IPC-CrPC से कितने अलग हैं ये नए कानून:
आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं, वहीं आईपीसी में 511 धाराएं थीं। इसी तरह, सीआरपीसी की जगह लेने वाली भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में पिछली 484 की तुलना में 531 धाराएं हैं। इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं हैं। ये पिछले कानून IEA में166 से थोड़ी अधिक हैं। नए कानून में कई बड़े बदलाव भी किए गए हैं। इसमें राजद्रोह वाले प्वाइंट को हटाया गया है। हालांकि, सशस्त्र क्रांति, विध्वंसक गतिविधियों और अलगाववादी कार्यों के कारण होने वाले राजद्रोह को अभी भी क्रिमिनल अफेंस माना जाएगा।
लड़कियों और बच्चों पर अपराध में सख्ती:
नए कानून में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामलों का भी जिक्र है। दंड संहिता में नरम प्रावधानों का फायदा उठाने से आरोपी व्यक्तियों को रोकने के लिए कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले को पॉक्सो के साथ जोड़ा गया है। ऐसे केस में आजीवन कारावास या मृत्युदंड का भी प्रावधान किया गया है। गैंगरेप के मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, नाबालिग के साथ गैंगरेप को नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है। कुल मिलाकर, नए कानूनों को लागू करने का उद्देश्य लीगल सिस्टम को मॉडर्न जरूरतों के अनुरूप लाना और राष्ट्र की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना है।