Ranchi: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने नेतरहाट आवासीय विद्यालय में तीन बच्चों का नामांकन लेने का निर्देश विद्यालय प्रबंधन को दिया है।
अदालत ने कहा कि बच्चों का एक साल बर्बाद हो गया है। इसलिए इनका नामांकन सातवीं कक्षा में लिया जाए। तीनों बच्चे नामांकन नहीं लेने के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे थे।
इस संबंध में धनबाद के रहने वाले सुमित राय, आयुष गोप और रोहित टूडू ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर चयन के बाद नामांकन नहीं किए का मुद्दा उठाया था।
नेतरहाट स्कूल में दाखिल नहीं होने पर कोर्ट गए थे बच्चे
उनकी ओर से अधिवक्ता शुभाशीष रसिक सोरेने और शोभा लकड़ा ने अदालत में पक्ष रखा। उनका कहना था कि तीनों बच्चों का कक्षा छह में नेतरहाट आवासीय विद्यालय में चयन हुआ था।
लेकिन विद्यालय की ओर से इनके मेडिकल जांच कराया गया। जिसमें इनकी उम्र 13 से 14 वर्ष होने की बात कही गई, जबकि नामांकन के लिए 12 वर्ष उम्र होनी चाहिए।
अदालत ने मेडिकल बोर्ड को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि मेडिकल बोर्ड को सिर्फ बच्चों के सेहत के बारे में ही जानकारी देनी थी। उम्र को लेकर उन्हें रिपोर्ट नहीं देनी थी।
अदालत ने कहा कि अदालत में सुनवाई के चलते इन बच्चों के एक साल बर्बाद हो गया है। इसलिए नेतरहाट आवासीय विद्यालय उनका नामांकन सातवीं कक्षा में लेगा।
बता दें कि प्रार्थी का चयन नेतरहाट आवासीय विद्यालय में छठी कक्षा में नामांकन के लिए हुआ है। नामांकन के इन बच्चों का हेल्थ चेकअप रांची सदर अस्पताल में कराया गया था।
चिकित्सकों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इन बच्चों की उम्र 13 से 14 वर्ष प्रतीत होती है।इस आधार पर विद्यालय ने इन बच्चों का नामांकन लेने से इनकार कर दिया।
लेकिन सरकार की ओर से इन बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र जारी किया गया है उसमें इनकी उम्र 12 वर्ष से कम बताई गई है। रिपोर्ट को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।