Ranchi: रांची बार एसोसिएशन का कार्यकाल मई में ही समाप्त हो गया। बार काउंसिल के आदेश पर एडहॉक कमेटी काम कर रही है और उसे चुनाव कराने की जल्दी नहीं है। लेकिन चुनाव में दावेदारी जताने वाले अब आरोप लगा रहे हैं। बार काउंसिल की ओर से कई बार पत्र भेजा कर चुनाव कमेटी का नाम मांगे गए हैं, लेकिन नाम अभी तक नहीं भेजा जा रहा है।
रांची सिविल कोर्ट में फिजिकल सुनवाई शुरू हो गई है। झारखंड बार काउंसिल के सदस्य व रांची बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव संजय कुमार विद्रोही ने वर्तमान एडहॉक कमेटी पर सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर कहा कि आखिर चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे हैं। चुनाव न कराने से किसको फायदा हो रहा है।
रांची बार एसोसिएशन के अधिवक्ता चाहते हैं कि जल्द से जल्द चुनाव हो ताकि बार एसोसिएशन की नई कमेटी का गठन हो सके। पहले कोरोना संकट की वजह से सिविल कोर्ट में फिजिकल सुनवाई नहीं हो रही थी। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद 50 प्रतिशत कोर्ट में फिजिकल सुनवाई हो रही है।
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अब तक रांची बार एसोसिएशन की एडहॉक कमेटी ने चुनाव को लेकर कोई कदम नहीं उठाया। इसको लेकर अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इधर, वर्तमान एडहॉक कमेटी अभी कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती है। बार संघ में चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है, लेकिन एडहॉक कमेटी कुछ भी कहने से रही।
सिविल कोर्ट के कई अधिवक्ता यह भी कह रहे हैं कि वर्तमान में एडहॉक कमेटी की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारियों को लग रहा कि कहीं चुनाव में उनका दाव उल्टा न पड़ जाए, इस कारण चुनाव को टालने की कोशिश की जा रही है। बता दें कि रांची बार एसोसिएशन में 3500 से ज्यादा सदस्य हैं।
चुनाव से पूर्व एन सदस्यतों का नाम भी जोड़ा जाता है। इस कारण चुनावी प्रक्रिया में करीब एक माह का समय लगता है। बार काउंसिल की देखरेख में चुनाव होता है और इसके लिए दो पर्यवेक्षकों की नियुक्ति भी कर दी गई है। कोरोना संकट को देखते हुए बार काउंसिल ने रांची बार संघ की कमेटी को भंग कर रोजाना के कामों के लिए एडहॉक कमेटी बनाया था। एडहॉक कमेटी में बार संघ के अध्यक्ष शंभू प्रसाद अग्रवाल, सचिव कुंदन प्रकाशन सहित अन्य लोग शामिल हैं।