Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए आवास को तोड़ने के रांची नगर निगम के आदेश पर रोक लगा दी है। अदालत ने इस मामले में रांची नगर निगम से जवाब तलब किया है। अदालत ने नगर निगम से पूछा कि जब पीएम योजना के तहत आवास बना है, तो उसे तोड़ने का आदेश क्यों दिया गया।
जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में इस मामले में सुनवाई हुई। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि पीएम आवास योजना के तहत सरकार के स्तर से घर बनाने की अनुमति दी जाती है और रांची नगर निगम इसे अवैध बताकर तोड़ने का आदेश जारी करता है। यह ठीक नहीं है। अदालत ने रांची नगर निगम के आदेश पर रोक दी।
इसे भी पढ़ेंः जज उत्तम आनंद हत्याकांडः सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी- दुर्भाग्य से देश में यह नया चलन, शिकायत पर IB, CBI भी मदद नहीं करती
अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान वादी के अधिवक्ता समावेश भंजदेव ने अदालत को बताया कि वादी को बिरसा नगर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास बनाने की राशि मिली थी। सरकार की अनुमति पर वादी अपना आवास बनाया।
मुख्यमंत्री की ओर से घर का निर्माण के पूरा होने का सर्टिफिकेट दिया गया था। लेकिन कुछ दिनों पहले नगर निगम उन्हें एक नोटिस भेजा है। इसमें कहा गया कि उक्त भवन का नक्शा पास नहीं है। इसलिए अवैध निर्माण को नौ अगस्त को तोड़ दिया जाएगा।
अदालत ने कहा कि जब पीएम आवास योजना के तहत ही वादी को घर बनाने की अनुमति प्रदान की गई है तो नगर निगम उसे तोड़ने का आदेश कैसे दे सकता है। अदालत ने इस मामले में नगर निगम को अदालत में जवाब पेश करने को कहा है।