Ranchi: सारंडा में फर्जी मुठभेड़ (Fake Encounter) के आरोपी सीआरपीएफ (CRPF) के तत्कालीन सहायक कमांडेंट (Assistant Commandant) शंभू कुमार विश्वास को झारखंड हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है। जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद शंभू कुमार विश्वास को अग्रिम जमानत की सुविधा प्रदान कर दी। अदालत ने उन्हें 25-25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देने आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान वादी के अधिवक्ता विनोद सिंह ने अदालत को बताया कि सीआईडी की ओर से दर्ज प्राथमिकी गलत है और दुर्भावना से ग्रसित है। इस मामले की सीआरपीएफ ने अपने स्तर से जांच कराई थी, जिसमें सहायक कमांडेंट को क्लीन चिट मिली है। मामले की पुलिस जांच में कई गवाहों ने नक्सली मुठभेड़ की घटना को सही बताया है।
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लेकिन छह माह बाद सोनवा के तत्कालीन थाना प्रभारी के बयान पर इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसके अलावा शंभू कुमार विश्वास देश के प्रधानमंत्री को सुरक्षा प्रदान करने वाली एसपीजी ग्रुप में
दस साल तक काम किया है। इन पर कभी भी किसी प्रकार कोई आरोप नहीं लगा है। सुनवाई के बाद अदालत ने शंभू कुमार विश्वास को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी है।
बता दें चाईबासा के छोटा नगरा थाना क्षेत्र के सांरडा जंगल में जून 2011 में सीआरपीएफ ने कांबिंग ऑपरेशन चलाया था। इसमें सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन और एसपी सहित पुलिस भी शामिल हुई थी। मुठभेड़ में मंगल होनहांगा को गोली लगी और उसकी मौत हो गई। इसको लेकर सीआरपीएफ की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, लेकिन बाद इस मामले की जांच सीआइडी को सौंपी गई। मामला फर्जी मुठभेड़ का पाए जाने के बाद सहायक कमांडेंट के खिलाफ वर्ष 2012 प्राथमिकी दर्ज कराई गई।