New Delhi: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अग्रिम जमानत के एक मामले में वरिष्ठ अधिकारियों को तलब करने वाले झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) के उस आदेश को निरस्त कर दिया। जिसमें हाईकोर्ट ने आपराधिक न्याय प्रणाली की बेहतरी के लिए राज्य के अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति होने के लिए कहा था।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस फैसले पर आपत्ति जताई और सभी हाईकोर्ट को ऐसे मामलों में अनावश्यक रूप से अधिकारियों को तलब करने को लेकर सजग रहने को कहा। हाईकोर्ट ने इस मामले में बासीर अंसारी नामक उस शख्स को जमानत भी दे दी।
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पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट इस मामले के दायरे से बाहर निकल गया। अगर हाईकोर्ट को लगता था कि आपराधिक न्याय प्रणाली की बेहतरी के लिए अधिकारियों को तलब किया जाना चाहिए तो वह उसे जनहित याचिका में तब्दील कर सकता था। सुप्रीम कोर्ट 9 अप्रैल और 13 अप्रैल को पारित हाईकोर्ट के दो आदेशों के खिलाफ झारखंड सरकार द्वारा दाखिल एसएलपी पर सुनवाई कर रही थी।
झारखंड हाईकोर्ट ने एक मामले में राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और स्वास्थ्य सचिव सहित वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया था और उनसे पूछा था कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए?।