रांचीः रिम्स की बदहाली पर हाईकोर्ट ने कहा कि रिम्स की जो स्थिति है वैसे में इसे कोई बचा नहीं सकता। राज्य के सबसे बड़े इस अस्पताल की ऐसी हालत दुर्भाग्यपूर्ण है।
रिम्स प्रबंधन और सरकार नौ माह से उपकरणों की खरीद की बात करता है, लेकिन स्थिति आज भी वैसे ही है। योग्य चिकित्सक नहीं मिलने की बात कह डॉक्टरों के पद को रिक्त रखा जा रहा है।
क्या डॉक्टर नहीं मिले तो इस बड़े संस्थान को बंद कर दिया जाएगा। इतने बड़े अस्पताल में सिर्फ एक सीटी स्कैन मशीन होना रिम्स प्रबंधन की व्यवस्था को बताने के लिए काफी है।
रिम्स में राज्य के गरीब मरीज उम्मीद के साथ आते हैं। लेकिन यहां की व्यवस्था से वह दुखित हो जाते हैं। रिम्स और सरकार को यहां की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए गंभीरता से सोचना होगा।
स्वत:संज्ञान लिए मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने उक्त टिप्पणी की। अदालत ने रिम्स और सरकार को अगली तिथि पर नियुक्ति, संसाधनों और रिक्त पदों और रिम्स की वित्त नीति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
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सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि रिम्स में कुछ उपकरणों की खरीद के लिए टेंडर निकाला गया था। लेकिन किसी एक भी टेंडर नहीं होने के कारण खरीदारी नहीं हो सकी और दोबारा टेंडर निकाला जा रहा है।
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि यह अधिकारियों की लापरवाही है। आखिर रिम्स सरकार पोर्टल जेम से खरीदारी क्यों नहीं करता। जेम से खरीदारी से कोई दिक्कत नहीं आती।
इससे प्रतीत होता है कि रिम्स की कोई वित्तीय नीति ही नहीं है। रिक्त पदों के मामले में रिम्स की ओर से बताया गया कि जितने भी रिक्त पद हैं उसे भरने की प्रक्रिया जारी है।
ट्यूटर के रिक्त पदों पर नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट में लंबित है। अदालत को बताया गया कि रिम्स के सीनियर रेजीडेंट के कुल 210 पद हैं। इसमें 109 पद खाली हैं। योग्य उम्मीदवार के नहीं मिलने से पद भरे नहीं जा रहे हैं।
इस पर अदालत ने कहा कि इस तरह की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। संसाधनों की खरीदारी नहीं हो रही है। इस कारण जांच बंद है। योग्य डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं, तो पद खाली हैं।
यही हाल रहा तो रिम्स एक दिन बंद हो जाएगा। अदालत ने रिम्स को यह बताने को कहा है कि कोरोना काल में रिम्स में कौन-कौन से उपकरण खरीदे गए ।
अब तक सीटी स्कैन एवं पैथोलॉजी की मशीन क्यों नहीं खरीदी गई । इन सभी बिंदुओं रिम्स प्रबंधन को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश कोर्ट ने दिया।