5.77 Lakh cases settled: झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पहल पर 29 जून को झारखंड के सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकारों में विशेष लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें भूमि अधिग्रहण, बीसीसीएल, सीसीएल, बैंक, म्यटेशन, सेटलमेंट तथा राजस्व मामलों का निपटारा किया गया। विशेष लोक अदालत में राज्य भर में 5 लाख 77 हजार 375 मामलों का निष्पादन किया गया। साथ ही 6 अरब 8 करोड़ 44 लाख 17 हजार 834 रुपए का सेटलमेंट हुआ। निष्पादित मामलों में 63418 लंबित मामले शामिल है।
झालसा के बैनर तले शनिवार को राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन धनबाद जिले के बीसीसीएल सभागार कोयलानागर में आयोजित की गई। जिसका उद्घाटन झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष सुजीत नारायण प्रसाद, कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जस्टिस आनंद सेन एवं जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। जिसके बाद नालसा का थीम सॉन्ग हुआ। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राम शर्मा द्वारा स्वागत भाषण किया गया। अपने संबोधन मे जस्टिस आनंद सेन ने कहा कि भू अधिग्रहण से संबंधित विवाद के मामले ज्यादा बढ़ते जाते हैं जल्द से जल्द उन्हें पुनर्वासित करने तथा उसे समुचित मुआवजा दिलाना हमारा सामाजिक दायित्व और कर्तव्य है।
मुआवजा का मतलब सामाजिक सुरक्ष के तहत उनके परिवार का जीवन यापन- जस्टिस एसएन प्रसाद
विशेष लोक अदालत में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि मुआवजा का अर्थ केवल यह नहीं कि उन्हें रुपए का भुगतान कर दिया जाए परंतु बल्कि मुआवजा का अर्थ यह भी है कि सामाजिक सुरक्षा के तहत उनके परिवार के जीवन यापन और उन्हें रहने के लिए छत की व्यवस्था करना। उन्होंने ने डीसी धनबाद एवं सीएमडी बीसीसीएल से अनुरोध किया कि वह मुआवजा संबंधित विवादों का निस्तारण तीस दिनों के अंदर करें ताकि लोगों को समुचित उसका लाभ मिल सके व वह दर -दर की ठोकर खाने से बच जाए।
इसके बाद नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया जिसमें अग्नि प्रभावित क्षेत्रों से विस्थापित किए गए लोगों के दर्द को दिखाया गया, डालसा के प्रयास से उन्हें नया घर मिला। मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए जस्टिस एसएन नारायण ने कहा कि चुकि धनबाद में कोयला उत्खनन व भू अधिग्रहण के ज्यादातर मामले पाए गए जिसमें लोगों को समय पर मुआवजा नहीं मिल पाया था इस कारण धनबाद को ही विशेष आयोजन के लिए चुना गया। उन्होंने जिला प्रशासन एवं समस्त पीएसयू कंपनी के अधिकारियों को सुझाव दिया कि पीड़ित की जगह वह खुद को रखकर देखें तब जाकर समस्या का जल्द से जल्द समाधान होगा।