सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) में महिलाओं को आरक्षण देने का आदेश गुरुवार को दिया। शीर्ष अदालत ने डीएचसीबीए को अपने कार्यकारिणी में कोषाध्यक्ष पद को महिलाओं के लिए आरक्षित करने का आदेश दिया है। जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की पीठ ने यह आदेश डीएचसीबीए में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देने की मांग वाली याचिकाओं पर विचार करते हुए दिया। पीठ ने डीएचसीबीए को अपने 5 अधिकारियों के पैनल में से कोषाध्यक्ष के अलावा एक अन्य कोई भी पद महिला वकीलों के लिए आरक्षित करने पर विचार करने को कहा।
शीर्ष अदालत ने इसके लिए डीएचसीबीए को 10 दिन में अपनी आमसभा की बैठक बुलाने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने डीएचसीबीए को कार्यकारी समिति में तीन सीटें महिला वकीलों के लिए आरक्षित करने पर विचार करने को कहा है, जिनमें से एक वरिष्ठ नामित महिला अधिवक्ता के लिए होनी चाहिए। डीएचसीबीए के मौजूदा अध्यक्ष मोहित माथुर से कहा कि वे जिला अदालतों के बार एसोसिएशन में महिला आरक्षण देने का आग्रह करें। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की समिति में पांच पदाधिकारियों सहित 15 सदस्य होते हैं।
डीएचसीबीए अध्यक्ष माथुर ने कहा कि उन्हें कुछ समय दिया जाना चाहिए क्योंकि इससे संबंधित कोई भी निर्णय सिर्फ आमसभा की बैठक में ही ले सकते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक प्रगतिशील कदम है और कोषाध्यक्ष का पद किसी महिला को सौंपने से एसोसिएशन के कोष का उचित व विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी।