High Court: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में रिम्स की चिकित्सकीय व्यवस्था में सुधार के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रतीत होता है कि रिम्स को चलाने में स्वास्थ्य विभाग दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। ब्यूरोक्रेट्स की दखलंदाजी से रिम्स की आधारभूत संरचना बेहतर नहीं हो पा रही है।
ऐसे में रिम्स को बंद कर देना चाहिए। अदालत ने नाराजगी जताते हुए शुक्रवार को स्वास्थ्य सचिव, रिम्स निदेशक और झारखंड भवन निर्माण निगम के एमडी को सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया। अदालत ने रिम्स निदेशक से वैसे चिकित्सकों की सूची मांगी है, जो नन प्रैक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) लेने के बाद भी निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में जाकर प्रैक्टिस कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि रिम्स की कार्यप्रणाली कुछ अलग ही है। यहां वीआइपी कल्चर हावी है। सामान्य मरीजों को बेड तक उपलब्ध नहीं है। उनका जमीन पर इलाज हो रहा है, जबकि वीआइपी मरीजों के इलाज के लिए खास व्यवस्था की जाती है।
रिम्स के चिकित्सा उपकरण काफी पुराने हैं, जिनका रखरखाव तक नहीं हो रहा है। रिम्स को बदहाल रखा जा रहा, जिस कारण निजी अस्पताल और नर्सिंग होम फल-फूल रहे हैं। रिम्स से एनपीए लेने के बाद भी चिकित्सक निजी नर्सिंग होम एवं अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे हैं, यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है। सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक कोर्ट में मौजूद थे। निदेशक ने अदालत को बताया कि उनकी ओर से रिम्स की स्थिति सुधारने के लिए कई पहल की जा रही है, लेकिन अधिकारियों की दखलंदाजी के कारण रिम्स बेहतर स्थिति में नहीं पहुंच पा रहा। रिम्स में सुधार के लिए कई प्रस्ताव विभाग को भेजे गए है, जो अभी लंबित है।
रिम्स में करीब 2600 बेड हैं। हर दिन रिम्स में 2500 मरीज झारखंड के विभिन्न जिलों और पड़ोसी राज्यों से पहुंचते हैं। बेड बढ़ाने की जरूरत है। रिम्स की गर्वनिंग बाडी की बैठक साल में सिर्फ एक-दो बार ही होती है। ऐसे में रिम्स को लेकर बड़े फैसले बहुत ही कम हो पाते हैं। रिम्स निदेशक ने बताया कि एक करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च करने के लिए रिम्स की गवर्निंग बाडी की अनुमति जरूरी होती है, लेकिन बैठक कम होने से खराब पड़े मेडिकल उपकरण को बदलने के लिए टेंडर की प्रक्रिया लंबी हो जाती है। जिससे मेडिकल उपकरण वर्षों से खराब पड़े रहते हैं। रिम्स परिसर में 148 जगह पर अतिक्रमण है, जिसे हटाना जरूरी है। बता दें कि इस संबंध में ज्योति कुमार की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है।