Ranchi: झारखंड एजुकेशन ट्रिब्यूनल ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि निजी स्कूल के शिक्षक को भी मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाना चाहिए, चाहे वह अस्थायी रूप से भी कार्य कर रहे हों। ऐसा नहीं करना मूल अधिकारों का हनन माना जाएगा।
अदालत ने कैंब्रियन पब्लिक स्कूल, कांके की शिक्षिका अलबेला किरण टोपनो के मामले में सुनवाई के दौरान उक्त आदेश दिया है। अदालत ने शिक्षिका को मातृत्व अवकाश की अवधि का पूरा वेतन और उक्त राशि की अब तक के ब्याज के साथ भुगतान का निर्देश स्कूल को दिया है।
अदालत ने शिक्षिका को कैंब्रियन स्कूल में दोबारा बहाल करने को कहा है। साथ ही शिक्षिका की नौकरी हटाए जाने के समय से मान्य होगी। इस मामले में शिक्षिका अलबेला किरण टोपनो ने एजुकेशनल ट्रिब्यूनल में आवेदन दिया था।
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इस मामले में उनका पक्ष रखने वाली अधिवक्ता खालिदा हया रश्मि ने बताया कि अलबेला किरण टोपनो ने कैंब्रियन पब्लिक स्कूल में वर्ष 2011 में नियुक्त हुईं थी। फरवरी 2016 में उन्होंने मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन दिया और अवकाश पर चली गईं।
अवकाश के बाद जब वह स्कूल आईं तो बताया गया कि स्कूल प्रबंधन ने उन्हें मई 2016 से निकालने का फैसला लिया है। इसके बाद इन्होंने ट्रिब्यूनल में आवेदन दाखिल किया। अदालत में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता खालिदा हया रश्मि ने बताया कि उक्त स्कूल सीबीएसई से संबद्ध है।
मातृत्व अवकाश एक्ट के अनुसार उन्हें मातृत्व अवकाश मिलना चाहिए। जबकि स्कूल की ओर से कहा गया कि शिक्षिका अभी अस्थायी थी और उनकी नियुक्ति को पांच साल नहीं हुआ था। इसलिए स्कूल के नियमानुसार उन्हें मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा सकता है।
सुनवाई के बाद अदालत ने स्कूल के नियम को असंवैधानिक बताया। अदालत ने कहा कि केवल मातृत्व अवकाश के आवेदन पर शिक्षिका को हटाया जाना गलत है और प्रबंधन की मनमानी है। इसलिए स्कूल के आदेश को निरस्त किया जाता है। अदालत ने शिक्षिका को दोबारा बहाली करने का निर्देश स्कूल प्रबंधन को दिया है।