Lok Adalat: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के तत्वावधान में झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) द्वारा आयोजित लोक अदालत ने वर्षों से दर-दर भटक रहे वादकारियों को 1116 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान सुनिश्चित किया। अकेले रांची डीएलएसए द्वारा आयोजित लोक अदालत में 86,638 मामलों का निपटारा कर 530 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान सुनिश्चित किया गया। राज्य भर में 10.13 लाख से अधिक केस का निष्पादन किया गया। हाईकोर्ट में आयोजित लोक अदालत में 54 केस का निष्पादन किया गया।
इससे पूर्व सिविल कोर्ट के 40 कोर्ट बिल्डिंग में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. बीआर सारंगी ने कहा कि लोक अदालत त्वरित सुलभ न्याय पाने का एक सशक्त माध्यम है। लोग तारीख पर तारीख में कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने से बच पाते हैं। यह वादी-प्रतिवादी के वादों के निष्पादन का महत्वपूर्ण मंच है। टूटते परिवार को जोड़ना और समाज के हरेक व्यक्ति तक न्याय पहुंचाना डालसा, झालसा और नालसा का मुख्य उद्देश्य है। कहा कि समाज के आखिरी व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने के दिशा में काम सुनिश्चित करें।
सिविल कोर्ट में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 86 हजार 638 वादों का निष्पादन किया गया। साथ ही मौके पर 530.87 करोड़ रुपए से अधिक राशि का सेटलमेंट हुआ। लोक अदालत में 19 पीड़ितों के बीच 50.05 लाख रुपए की मुआवजा राशि वितरित की गई।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश सह झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने लोक अदालत को त्वरित और सुलभ न्याय का माध्यम बताया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पीड़ितों के बीच मुआवजा राशि का वितरण किया। साथ ही निष्पादित केस के वादियों को सम्मानित भी किया। इससे पूर्व उन्होंने आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत का निरीक्षण किया। मध्यस्थता केंद्र एवं स्थायी लोक अदालत के सदस्यों से बातचीत की। निरीक्षण के दौरान जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी, रजिस्ट्रार जनरल मो. शाकिर, न्यायायुक्त दिवाकर पांडे, सदस्य सचिव झालसा कुमार रंजना अस्थाना, उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा, सीटी एसपी राज कुमार मेहता, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शंभु प्रसाद अग्रवाल, महासचिव संजय कुमार विद्रोही, डालसा सचिव कमलेश बेहरा समेत अन्य न्यायिक पदाधिकारी साथ थे।
जिला बार एसोसिएशन ने रखी अपनी परेशानी : कार्यक्रम के दौरान जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने यहां के अधिवक्ताओं की पेरशानी को चीफ जस्टिस के समक्ष रखा। अधिवक्ताओं की बढ़ती संख्या और पार्किंग के लिए जगह की मांग की गई। जिस पर चीफ जस्टिस बीआर सारंगी ने वकीलों की समस्या का समाधान करने का भरोसा दिया। लोक अदालत में वकीलों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।
वकालत से न्यायिक जीवन की शुरूआत की है, रिटायर के बाद वापस करूंगा वकालत – चीफ जस्टिस कार्यक्रम में चीफ जस्टिस बीआर सारंगी ने कहा कि वकालत मेरी मां है। वकालत से जस्टिस और चीफ जस्टिस के पद पर हूं। इसी से न्यायिक जीवन की शुरूआत की है और सेवानिवृत्ति के बाद फिर से वकालत करूंगा। बार और बेंच एक ही परिवार है। उन्होंने कहा कि हाथों के पांचों अंगुलियां अलग-अलग कार्य करती है, जब पांचों अंगुलियां मिलकर काम करती हैं, तो काम और भी बेहतर होता है। बेंच और बार मिलकर काम करेंगे, तो काम बेहतर होगा, लोगों को सुलभ न्याय मिलेगा। लोक अदालत में वादी-प्रतिवादियों को कम समय में न्याय मिलता है। लोगों को समय पर न्याय मिलेगा, तभी न्यायिक व्यवस्था का सही इस्तेमाल माना जाएगा।
रांची के न्यायायुक्त दिवाकर पांडे ने कहा कि विवादों के निपटारे के लिए लोक अदालत सबसे सुलभ माध्यम है। उन्होंने कहा कि लोक अदालत के आयोजन से मध्यस्थता के माध्यम से विवादों का निपटारा होता है। इससे न्यायालय में लंबित मामलों में कमी आती है। वादकारियों का समय और पैसा भी बचता है। गौरतलब है कि न्यायायुक्त रांची के न्यायालय से एक मामले का निपटारा राष्ट्रीय लोक अदालत में किया गया, जिसे जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, रांची ने रेफर किया था। मामला सीवरेज ड्रेनेज जोन-1 परियोजना के अंतर्गत मौजा-लेन, थाना नंबर 162, खाता नंबर 75 में प्रभावित किसानों के बीच मुआवजा राशि को लेकर विवाद से जुड़ा था, जिसमें आज दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया और दोनों पक्षों के बीच 10.14 करोड़ रुपये से अधिक की मुआवजा राशि पर समझौता हुआ।