Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक रौशन की अदालत में प्राथमिक प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि अगर कोई गलती से नियुक्त प्राप्त करता है, तो उसी आधार पर किसी दूसरे को नियुक्ति नहीं दी जा सकती है।
इसके बाद अदालत ने प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दिया। इस संबंध में वापी कर्मकार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि वर्ष 2008 में जेपीएससी ने द्वितीय प्राथमिकी प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था।
इसे भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम सभी न्यायिक प्रणाली का मजाक बना रहे, जानिए पूरा मामला
उनका चयन भी हो गया था, लेकिन आयोग ने प्रमाण पत्र सत्यापन के दौरान उनकी शैक्षणिक योग्यता को नहीं माना। इस मामले में उनका कोई दोष नहीं है। यूनिवर्सिटी ने डिग्री देने में देर की है। वहीं, डिग्री देर से देने के आधार पर चार अभ्यर्थियों की नियुक्ति की अनुशंसा की गई है।
इसपर जेपीएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि विज्ञापन में सभी को आवेदन करने की छूट प्रदान की गई थी, लेकिन शर्त थी कि परीक्षा के तीन माह बाद तक अभ्यर्थी को बीएड की डिग्री प्राप्त कर लेनी है।
परीक्षा के बाद जेपीएससी ने सभी से बीएड की डिग्री मांगी थी, लेकिन अभ्यर्थी उक्त डिग्री उपलब्ध नहीं करा पाए, इसलिए इनका आवेदन रद कर दिया गया। गलत अनुशंसा पर जेपीएससी ने कहा कि ऐसी अनुशंसा पर नियुक्ति से संबंधित कोई जानकारी नहीं है। इस मामले में वर्ष 2010 में ही सारी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।