New Delhi: अपील दाखिल करने में देरी से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिक के तौर पर हम न्यायाधीशों को राजस्व हानि की चिंता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कराधान मामलों से संबंधित अपील दाखिल करने की प्रक्रिया को तेज करने को कहा। कोर्ट ने सरकार से एक समिति के गठन के बारे में अधिसूचना जारी करने को कहा है जो तकनीकी हस्तक्षेप के साथ प्रक्रिया की निगरानी करेगी और मामलों पर नजर रखने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार करेगी।
केंद्र ने कहा कि एनआईसी, कानूनी सूचना प्रबंधन और ब्रीफिंग सिस्टम (एलआईएमबीएस) को ई-ऑफिस तंत्र के साथ एकीकृत करने में सहयोग कर रहा है ताकि मामलों की निगरानी की जा सके। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ को आश्वासन दिया कि अगले सोमवार तक समिति का गठन किया जाएगा। समिति मामलों के स्टेज की निगरानी करेगी।
इस पर पीठ ने कहा कि इस देश का नागरिक होने के नाते हमें अपील दायर करने में देरी के चलते सरकार को होने वाले राजस्व नुकसान की चिंता है। हम देखते हैं कि अपीलें 500-600 दिनों की देरी से दायर की जा रही हैं और उन्हें अदालतें खारिज कर देती हैं। आपके पास एक समिति होनी चाहिए। समिति में बहुत वरिष्ठ स्तर के अधिकारी नहीं बल्कि ऐसे लोग होने चाहिए जो चीजों के बारे में जानते हों। समिति मामलों की प्रगति पर निगरानी रखेगी।
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मेहता ने कहा कि समस्या यह है कि कई बार जानबूझकर मामले दर्ज करने में देरी करने की कोशिश की जाती है। नई व्यवस्था लागू होने से जवाबदेही तय हो सकेगी। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था में किसी भी अदालत में फैसला सुनाए जाने के बाद अगर अपील करना आवश्यक समझा जाएगा तो अपील दायर करने की प्रक्रिया एक तय समय सीमा के साथ तुरंत शुरू हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि हाल ही में इस मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी और उन्होंने भी इसमें हिस्सा लिया था और कई सुझाव दिए गए है जिन्हें शामिल किया जाएगा। पीठ ने मेहता से कहा कि कम से कम आप समिति के गठन के बारे में एक अधिसूचना जारी करें ताकि अदालत को पता चले कि काम शुरू हो गया है और हम इस मुद्दे को यहीं छोड़ देंगे। पीठ ने कहा कि तकनीकी हस्तक्षेप के साथ एक प्रणाली विकसित करने से सरकार को व्यापार के अनुकूल माहौल बनाने में मदद मिलेगी। हम सिर्फ राजस्व विभाग को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
इससे सरकार के हितों की रक्षा होगी। आपके पास केस इंफॉर्मेशन सॉफ्टवेयर होना चाहिए जहां से आप डाटा, केस स्टेटस और अन्य प्रासंगिक विवरण प्राप्त कर सकते हैं। इससे लंबित मामलों को कम करने और व्यवसाय के अनुकूल माहौल बनाने में मदद मिलेगी। पीठ ने यह भी कहा कि सरकार के पास वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे मामलों की तेजी से ट्रैकिंग की जा सके और तेजी से निर्णय लिए जा सकें। इससे देश में व्यापार के अनुकूल माहौल बनाने में मदद करेगी। जस्टिस शाह ने कहा कि सरकार ने जिस समय सीमा के बारे में सोचा है, वह तभी प्रभावी होगी जब सभी विभागों द्वारा इसका पालन किया जाएगा। पीठ अब इस मामले पर 27 अगस्त को सुनवाई करेगी।