Ranchi News: अपराधी अमन श्रीवास्तव गैंग के 15 सदस्यों में से 11 की मुश्किलें काफी बढ़ गई है। गैंग में शामिल अमन श्रीवास्तव का भाई अभिक श्रीवास्तव, बहनोई चंद्रप्रकाश राणू समेत 11 आरोपियों पर गैरकानूनी गितिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की सुगंत धाराओं के तहत अब मुकदमा चलेगा।
सक्षम ऑथोरिटी ने अमन गैंग के 11 सदस्यों पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अभियोजन स्वीकृति दे दी है। मामले में अब जल्द ही नए सिरे से आरोपियों के खिलाफ आरोप गठित किया जाएगा। झारखंड पुलिस की आंतकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने आरोपियों के खिलाफ 17 जनवरी 2022 को भादवि की धाराओं के साथ यूएपीए की धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
लेकिन यूएपीए के तहत अभियोजन स्वीकृति के प्रार्थना को सक्षम प्राधिकार ने अस्वीकार कर दिया गया था। तब एटीएस कोर्ट ने मामले में आरोपियों पर 19 अप्रैल 2023 को भादवि की धाराओं के तहत ही आरोप गठित किया था। इसके बाद मामले में अभियोजन की ओर से गवाही जारी थी। जिसे फिलहाल रोक दिया गया है।
लेवी के पैसे से हथियार खरीदने और धमकाने का आरोप
अमन श्रीवास्तव गैंग पर रंगदारी व लेवी से पैसे जुटाने और उससे हथियार खरीदकर आतंक कायम करने के लिए गोली-बारी व आगजनी कर व्यवसायियों-ठेकेदारों में खौफ कायम करने का आरोप है। अमन श्रीवास्तव गुर्गों-सहयोगियों के माध्यम से दहशत फैलाने के लिए गोलीबारी व आगजनी की घटना को अंजाम दिलाता था। रंगदारी के रूप में मिलने वाली राशि हवाला के माध्यम से रिश्तेदारों तक पहुंचता था। एटीएस को अनुसंधान के दौरान इस गिरोह के फंडिंग, आर्थिक स्रोत व हवाला चैनल का भी पता चला है।
इन आरोपियों पर चलेगा यूएपीए के तहत मुकदमा
यूएपीए धारा के तहत चतरा के हंटरगंज निवासी अमन श्रीवास्तव, उसका भाई अभिक श्रीवास्तव, बहनोई चंद्रप्रकाश राणू, गैंग के सदस्य चतरा निवासी विनोद कुमार पांडेय, खलारी निवासी जहीर अंसारी, असलम अंसारी, फिरोज खान, राजस्थान के बीकानेर निवासी हवाला कारोबारी सुनील कुमार शर्मा, इश्लय लकड़ा, महमूद उर्फ नेपाली एवं रांची के बर्द्धवान कंपाउंड निवासी सिद्धार्थ साहू पर मुकदमा चलेगा।
जाने यूएपी एक्ट के बारे में
यूएपी एक्ट को आतंकवाद विरोधी कानून के रूप में भी जाना जाता है। यह बहुत ही खतरनाक कानून है। केंद्र सरकार हाल में ही किसी भी औपचारिक न्यायिक प्रक्रिया का पालन किए बिना व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित करना संभव बना दिया है। इस धारा के तहत अधिकतम मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।