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Ranchi/ High Court: हाई कोर्ट में स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक परीक्षा के रिजल्ट को लेकर विवाद मामले में अंतिम सुनवाई दिसंबर में

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Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को झारखंड स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (जेएसएससी) स्रातक प्रशिक्षित शिक्षक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के विज्ञापन संख्या 21/2016 से संबंधित कई याचिकाओं वृहत सुनवाई हुई। अदालत ने प्रार्थियों को शपथ पत्र दाखिल करने के लिए 10 दिसंबर तक का समय दिया है। वही कोर्ट ने राज्य सरकार एवं जेएसएससी को भी संक्षिप्त शपथ पत्र दाखिल कर बताने को कहा है कि क्या प्रार्थी का प्राप्तांक राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट के अंतर्गत अंतिम चयनित अभ्यर्थी से कम हे या ज्यादा है। वही कोर्ट ने प्रार्थियों को शपथ पत्र दाखिल कर बताने को कहा है कि उनका प्राप्तांक कितना था।

सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया की बहुत सारे सफल अभ्यर्थी जिनका मार्क्स उनसे कम है उनकी भी नियुक्ति की गई है। वही प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने कोर्ट को बताया कि ऐसे सैकड़ो अभ्यर्थी है जिनको स्टेट मेरीट लिस्ट के कट ऑफ मार्क्स से थोड़ा काम नंबर आया है और डिस्ट्रिक्ट वाइज न्यूनतम कट ऑफ मार्क्स से बहुत अधिक अंक है। वकील ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने या स्वीकार किया है कि 3704 सीट खाली है जिसे राज्य सरकार ने सरेंडर कर दिया है। यह राज्य सरकार के नियम अनुकूल नहीं है। झारखंड सरकार की नियमावली के तहत विज्ञापन के बचे सीट तभी सरेंडर हो सकते हैं जब नियुक्ति आदेश निकलने के बाद अभ्यर्थियों ने पद ग्रहण नहीं किया।

उन्होंने अपनी इस बात के तर्क में सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया। उनकी ओर से कोर्ट से आग्रह किया कि स्टेट मेरीट लिस्ट के कट ऑफ मार्क्स को कम कर शेष बचे 3704 सीटों को भरा जाए। सुप्रीम कोर्ट का भी यही दिशा-निर्देश था कि उक्त नियुक्ति परीक्षा की सभी 17786 सीटों को भरा जाए। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन, जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने कोर्ट को बताया कि स्टेट वाइज मेरीट लिस्ट के अनुसार जेएसएससी के द्वारा नियुक्ति के अनुशंसा की गई है।

प्रार्थियों का यह कथन गलत है कि प्रार्थी का प्राप्तांक स्टेट वाइज मेरीट लिस्ट में अंतिम चयनित अभ्यर्थी से कम है। प्रार्थी अपने की तुलना ऐसे अभ्यर्थियों से कर रहे हैं जिनकी नियुक्ति डिस्ट्रिक्ट वाइज मेरिट लिस्ट के आधार पर हुई थी, जो सुप्रीम के आदेश के तहत प्रोटेक्टेड थे। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सत्यजीत कुमार के मामले में दिए गए आदेश के आलोक में जेएसएससी द्वारा स्टेट वाइज मेरिट लिस्ट के तहत नियक्ति की अनुशंसा की गई है। सभी प्रार्थी का प्राप्तांक स्टेट वाइज मेरीट लिस्ट के चयनित अंतिम अभ्यर्थी से कम है। इसलिए इनकी नियुक्ति नहीं की गई है। ये नियुक्ति की योग्य नहीं थे।

यहां बता दें कि मीना कुमारी समेत कईयों ने याचिकाएं दाखिल कर रखी है। जिसमें कहा गया है कि साल 2016 में जो हाईस्कूल शिक्षक की नियुक्ति का विज्ञापन निकला था, उसके आलोक में उनकी नियुक्ति होनी चाहिए। कारण कट ऑफ से ज्यादा मार्क्स उन्होंने लाया है। कहा गया है कि हाई स्कूल शिक्षकों की रिक्तियां शेष है तो ऐसे अभ्यार्थियों की नियुक्ति होनी चाहिए।

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