Ranchi: झारखंड विधानसभा में नियुक्ति में हुई गड़बड़ियों की झारखंड हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत ने सोमवार को सीबीआई जांच का आदेश सुनाया। इसके पूर्व हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की सुनवाई पूरी करने के बाद 20 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के लिए इस मामले को पूरी तरह फिट बताया है। विधानसभा में वर्ष 2007 में नियुक्ति में गड़बड़ी को लेकर एक सीडी वायरल होने के बाद इसकी जांच की मांग की गयी थी। विधानसभा ने इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनायी थी, लेकिन कमेटी ने जांच पूरी नहीं की।
इसके बाद वर्ष 2014 में राज्यपाल की सहमति से जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग का गठन कर मामले की जांच करायी गयी। वर्ष 2018 में आयोग ने राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद ने अपनी रिपोर्ट में नियुक्तियों में गड़बड़ी की बात कही थी। आयोग ने विधानसभा गठन के बाद से ही कई नियुक्तियों में गड़बड़ी की बात कही थी। साथ ही यह भी कहा था कि जो सीडी वायरल हुआ है इसकी पूरी तरह जांच नहीं हो सकी है। ऐसे में उन्होंने पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश राज्यपाल से की थी।
सरकार और स्पीकर ने नहीं लिया निर्णय
आयोग की सिफारिश पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर झारखंड हाईकोर्ट में प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की। याचिका में पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का आग्रह किया गया था। प्रार्थी का कहना था कि जांच को लेकर पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमिशन बनी थी। जिसने मामले की जांच कर राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंपी थी। जिसके आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। राज्यपाल के दिशा निर्देश के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मामले को लंबा खींचा जा रहा है। मामले में देरी होने से गलत तरीके से चयनित होने वाले अधिकारी सेवानिवृत हो जाएंगे।
सरकार की दलील
सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया था कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट कानूनी रूप से रिपोर्ट नहीं मानी जाएगी रिपोर्ट को सरकार के समक्ष पेश किया जाना चाहिए था, लेकिन इसे सीधे राज्यपाल को दे दिया गया। राज्यपाल ने जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट सरकार को नहीं दी। इस कारण विधानसभा के पटल पर छह माह के भीतर एक्शन रिपोर्ट को नहीं रखा जा सका। जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट में कई त्रुटियां भी थी एवं उस आयोग की कई अनुशंसा भी अस्पष्ट थी। इन त्रुटियों को देखके हुए जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की एक कमीशन बनानी पड़ी। जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की रिपोर्ट को राज्य सरकार ने स्वीकार कर ली है और उसे विधानसभा के सदन पटेल पर रखा जा चुका । जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की रिपोर्ट ही फाइनल रिपोर्ट है।