Ranchi: सिविल कोर्ट परिसर स्थित 40 कोर्ट बिल्डिंग के प्रधान कुटुंब न्यायालय रांची के कोर्ट रूम में एक अधिवक्ता अपने क्लाइंट के साथ एक दूसरे अधिवक्ता राज कुमार वर्मा से भीड़ गए और उन्हें काफी मारपीट किया। जिससे राज कुमार वर्मा बेहोश हो गए और सिविल कोर्ट परिसर में स्थित डिस्पेंसरी में उनका इलाज शुरू हुआ। वह बेहोशी की हालत में थे उनका एक हाथ लगातार कांप रहा था, हम लोग बहुत से अधिवक्ता वहां पर पहुंचे उनकी हालत को देखकर वहां से रेफर करवा कर सदर अस्पताल भेजे, परंतु यह घटना अधिवक्ता समाज को शर्मसार करने वाली है। राज वर्मा की वकील पत्नी मौके पर पहुंची और पति का चल इलाज करवाया। पूरी घटना वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद है।
दरअसल राज कुमार वर्मा का बड़े भाई जो वकील है उनकी वकील पत्नी के साथ विवाद चल रहा है और मामला फैमिली कोर्ट में लंबित है। इस संबंध में राज कुमार वर्मा ने बात-चीत में बताया कि शुक्रवार को दिन के 11.45 बजे के करीब फैमिली कोर्ट अपने क्लाइंट के साथ तारीख पर पहुंचे। सुनवाई पश्चात वहां बैठे प्लीडर कमीश्नर से जानकारी लेने पहुंचा कि अचानक मेरी भाभी का भाई परिजात कुमार ने हमला कर दिया। अपने बचाव में मैंने भी हाथ चलाया। इसके बाद उसने अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए और मारपीट की। जिससे बेहोशी छा गया। राज वर्मा का नाक से खून बहने लगा। राज कुमार वर्मा ने बताया कि उसकी भाभी ने भी मारा। यह सब जिला बार एसोसिएश के कार्यकारिणी समिति के एक सदस्य वहां मौजूद था। लेकिन उसने किसी प्रकार का कोई बचाव नहीं किया। दूसरी ओर परिजात कुमार को भगाने में वकील का हाथ है।
अन्य वकीलों की मदद से उनको सिविल कोर्ट परिसर स्थित डिस्पेंसरी में प्राथमिकी उपचार के बाद सदर अस्पताल रेंफर किया गया। जहां करीब तीन घंटे तक इलाज चला। फैमिली कोर्ट में चल रहा केस राज कुमार वर्मा अपने भाई की तरफ से कोर्ट में पक्ष रखते हैं। पक्ष रखने को लेकर ही उनलोगों को शायद मुझसे ईर्ष्या हो रही है। हमला क्यों किया गया यह मुझे समझ में नहीं आया। पूरी घटना सीसीटीवी में दर्ज है। घटना को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराने की बात कही है। कोर्ट रूम के अंदर हुई घटना पर एक जज ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जो घटना घटी है अत्यंत निंदनीय है। ऐसे दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज करवा दूं, क्योंकि यह घटना कोर्ट रूम में घटी है। इस घटना पर जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने कड़ी निंदा की है। बार एसोसिएशन को यह चाहिए कि वह सुनिश्चित करें कि इस तरह की शर्मनाक घटना की पुनरावृत्ति भविष्य में कभी ना हो। साथ ही इस घटनाक्रम में जो अधिवक्ता दोषी पाए जाएं उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।