Court News: बलिया के पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष व स्व. सूर्यदेव सिंह के अनुज रामधीर सिंह अंतिम सांस तक सलाखों के पीछे ही रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट से रामधीर सिंह को तगड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट से बहाल रामधीर की आजीवन कारावास की सजा को दी गई चुनौती के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम की खंडपीठ ने रामधीर की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। विनोद सिंह हत्याकांड में रामधीर सिंह सात साल चार महीने से रांची की होटवार जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में डबल बेंच जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की कोर्ट में रामधीर सिंह की स्पेशल लीव पीटिशन पर सोमवार को सुनवाई हुई। रामधीर की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लुथरा, एके प्रसाद और निखिल गोयल ने 40 मिनट तक बहस की।
वहीं कांड के सूचक और विनोद सिंह के भाई दून बहादुर सिंह की ओर से अधिवक्ता राजन राय और मोहिनी प्रिया ने बचाव पक्ष के दलीलों का जवाब दिया। एडमिशन के विषय पर हुई सुनवाई के बाद खंडपीठ ने रामधीर की याचिका खारिज कर दी। अब रामधीर के पास सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो गए हैं। इससे पहले 27 सितंबर 2023 को उच्च न्यायालय के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस नवनीत कुमार ने रामधीर की आजीवन कारावास की सजा को सही ठहराते हुए उनकी अपील की याचिका खारिज कर दी थी। इसी मामले में रामधीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
26 साल पहले सरेआम हुई थी विनोद की हत्या
15 जुलाई 1998 को कतरास के हटिया शहीद भगत सिंह चौक के पास मजदूर नेता सकलदेव सिंह के भाई विनोद सिंह व उनके चालक मन्नू अंसारी पर अंधाधुंध फायरिंग कर दोनों को मौत के घाट उतार दिया गया था। 18 अप्रैल 2015 को रामधीर की गैर मौजूदगी में धनबाद के सत्र न्यायालय ने विनोद सिंह और उनके चालक की हत्या में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 22 महीने फरार रहने के बाद 20 फरवरी 2017 को रामधीर ने धनबाद कोर्ट में सरेंडर किया था।