इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नोएडा के कुख्यात निठारी कांड में सजायाफ्ता सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की फांसी की सजा को निरस्त कर दी है। अदालत ने पारित अपने आदेश में दोनों को बरी कर दिया।
इसके पहले गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने लड़कियों के साथ दुष्कर्म और हत्या का आरोप तय करते हुए दोनों आरोपियों को फांसी की सजा दी थी। हालांकि अब कोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह दोनों को निर्दोष करार दिया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट निठारी कांड में सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद द्वारा सुरेंद्र कोली व मनिंदर सिंह पंढेर को मिली फांसी की सजा के खिलाफ अपील मंजूर कर ली है। आरोप संदेह से परे और साबित न हो पाने के कारण इन्हें बरी कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, निठारी कांड में सीबीआई ने कुल 16 मामले दर्ज किए थे। इनमें से सुरेंद्र कोली को 14 मामलो में फांसी की सजा मिली है। वहीं मनिंदर सिंह पंढेर कुल 6 मामले दर्ज किए गए थे। पंढेर को 3 मामलों में फांसी मिल चुकी है। हालांकि दो मामलों में वह पहले ही बरी हो चुका है।
निठारी कांडः फांसी की सजा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में दी थी चुनौती
सीबीआई ने 2005 से 2006 में नोएडा में हुए निठारी मामले में सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, बलात्कार और सबूत मिटाने के केस में आरोपी बनाया था। वहीं पंधेर पर मानव तस्करी का भी आरोप लगा था।
दोनों ने दो मामलों को लेकर फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती थी। आरोपियों का कहना था कि इन मामलों में कोई चश्मदीद गवाह मौजूद नहीं है। उन्हें ये सजा सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजनक सबूतों के आधार पर सजा सुनाई गई है।
लंबी चली बहस के बाद फैसला रखा था सुरक्षित
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति एस एच ए रिजवी की खंडपीठ ने लंबी चली बहस के बाद अपीलों पर फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार 16 अक्टूबर को फैसला सुनाया गया।
कोली पर दर्जनों लड़कियों की नृसंस हत्या व बलात्कार करने के आरोप में एक दर्जन से अधिक मामलों में फांसी की सजा के खिलाफ अपील दाखिल की गई है। पंढेर को भी तीन मामलों में फांसी की सजा मिली है। नोएडा की पंढेर की कोठी में निठारी गांव की लड़कियों को लाकर हत्या की गई थी।
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