Jharkhand High Court: झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान देवघर एम्स में सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दाखिल सरकार के शपथपत्र में प्रार्थी सांसद निशिकांत दुबे की ओर से सवाल उठाया गया है।
निशिकांत दुबे की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार ने कई सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई हैं। लेकिन शपथपत्र में उसका भी उल्लेख किया गया है। इस पर चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने प्रार्थी की ओर से उठाए गए मुद्दों पर अपना पक्ष रखने का निर्देश देते हुए सुनवाई एक दिसंबर को निर्धारित की।
प्रार्थी निशिकांत दुबे की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार ने एम्स में अभी तक बिजली का समुचित प्रबंध नहीं किया है। शपथपत्र में कहा गया है कि एम्स के लिए पावर सबस्टेशन लगाया जाना है, जिसके लिए 64 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
जिसमें कैबिनेट से मंजूरी ली जानी है, लेकिन कैबिनेट में इस मामले को कब ले जाया जाएगा, इस पर कुछ नहीं कहा गया है। जबकि सरकार की कई कैबिनेट की बैठक हो गयी है, लेकिन इसमें एम्स में सुविधा देने का प्रस्ताव नहीं लाया गया है।
प्रार्थी ने कहा कि एम्स में पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। अभी एम्स में देवीपुर से जलापूर्ति की जा रही है। देवीपुर से ग्रामीणों को दो या तीन दिन पर पानी मिलता है। यहां से एम्स को पर्याप्त पानी की आपूर्ति नहीं की जा सकती। अदालत से पुनासी डैम से जलापूर्ति की व्यवस्था करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया।
निशिकांत दुबे ने सरकार के शपथ पत्र का दिया जवाब
प्रार्थी निशिकांत दुबे ने कहा कि राज्य सरकार ने जो अग्निशमन वाहन गाड़ी दिए हैं वह सिर्फ और तीन और चार तल के भवन के लिए है। जबकि एम्स का भवन 24 तल का है। बहुमंजिली इमारत के लिए अग्निशमन वाहन उपलब्ध नहीं कराए हैं।
एम्स के पास केंद्रीय विद्यालय बनाने के लिए राज्य सरकार को जमीन देना था। जमीन अभी तक आवंटित नहीं किया गया है । एम्स की अन्य व्यवस्था के लिए 20 एकड़ जमीन का प्रबंध राज्य सरकार को करना है , जो अभी तक नहीं किया गया है ।
पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया था कि एम्स को कई सुविधाएं दी गयी हैं। अग्निशमन विभाग की ओर से कहा गया था कि आधुनिक यंत्रों के साथ अग्निशमन वाहन के लिए राशि आवंटित कर दी गयी है।
एम्स देवघर में एक फायर स्टेशन खोला जाएगा। पथ निर्माण विभाग की ओर से बताया गया कि एम्स ने अभी तक अपने मुख्य गेट का निर्धारण नहीं किया है। निर्धारण होने के बाद एप्रोच सड़क का निर्माण कर लिया जाएगा।
सरकार के इस दावे का प्रार्थी सांसद निशिकांत दुबे की ओर से विरोध किया गया था। उन्होंने अदालत से कहा था कि सरकार के दावे धरातल पर नहीं है। सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है।
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