जज हत्याः हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी- कभी नक्सलियों ने नहीं किया जज पर हमला, यह घटना न्यायिक व्यवस्था पर कुठाराघात

Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि पहले राज्य नक्सलियों के लिए जाना जाता था, लेकिन उन्होंने कभी भी न्यायिक पदाधिकारी पर हमला नहीं किया था, लेकिन जब राज्य में नक्सलियों का वर्चस्व समाप्त हो रहा है, तो ऐसी घटनाएं न्यायिक व्यवस्था पर कुठाराघात हैं। जज उत्तम आनंद की हत्या को दुर्घटना का रूप दिया गया है। अपराधियों ने ऐसी जगह को घटना के लिए चुना है कि उनके बढ़े मनोबल का संदेश सभी को मिल जाए।

चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन की अदालत ने इस मामले में धनबाद के प्रधान जिला जज के पत्र पर संज्ञान लेते हुए एडीजी संजय आनंद लाटकर के नेतृत्व में एसआईटी जांच का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर हो गई है। कुछ दिनों पहले एसआई रूपा तिर्की की संदिग्ध मौत, सोमवार को वकील की हत्या और अब जज पर हमला किया गया।

यह घटना न्यायिक पदाधिकारियों के मनोबल नीचे करने के लिए किया गया है। अदालत ने कहा कि कोर्ट इस मामले की निगरानी करेगी और एसआईटी को समय-समय पर अपनी जांच रिपोर्ट अदालत में दाखिल करनी होगी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि इस घटना के बाद उन्हें देश के विभिन्न कोनों से इस मामले को लेकर प्रतिक्रिया मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस मुद्दे पर उनसे बातचीत की है इसलिए उन्हें भरोसा है कि इस मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से की जाएगी।

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अगर किसी भी समय अदालत को ऐसा लगा कि इस मामले की जांच प्रोफेशनल तरीके से नहीं की जा रही है, तो इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी। सुनवाई के दौरान अदालत ने एसएसपी से कई सवाल पूछे, लेकिन उनका बार-बार बयान बदलने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। कहा कि इस मामले में प्राथमिकी के समय को बदला गया है। इसका लाभ आरोपी को निचली अदालत में मिल सकता है।

अदालत सिर्फ टेंपो चालक और उसके एक सहयोगी को ही सजा दिलाना नहीं चाहती है, बल्कि इसके पीछे के साजिशकर्ता तक पुलिस पहुंचे और उसे सजा दिलाया जाए। क्योंकि सीसीटीवी फुटेज से साफ पता चलता है कि यह दुर्घटना नहीं, बल्कि सोची समझी साजिश के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया है। यह पूरी तरह से हत्या का मामला है।

इस दौरान डीजीपी नीरज सिन्हा ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह प्रोफेशनल तरीके से मामले की जांच करेंगे। उन्होंने एसआईटी के नेतृत्व करने के लिए संजय लाटकर का नाम सुझाया। जिसके बाद कोर्ट ने उस पर अपनी सहमति प्रदान कर दी। अदालत ने इस दौरान एसआई रूपा तिर्की के मामले के उठाते हुए डीजीपी से पूछा कि अब तक इस मामले में जांच कहां तक पहुंची है।

हाईकोर्ट के एकल पीठ में इस मामले की सुनवाई की जानकारी होने पर अदालत ने कहा कि अब एकल पीठ इस मामले में कोई उचित निर्णय लेगी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह भी हाईकोर्ट में जुड़े और उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को सीजेआई के सामने उन्होंने उठाया है वह इस मामले में हाईकोर्ट की भी पूरी तरह से मदद करेंगे उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना न्यायिक व्यवस्था पर एक चोट की तरह है। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए

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