झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में रांची नगर निगम के पार्षद वेद प्रकाश के मामले में एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अभिषेक कुमार की अपील पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान वेद प्रकाश की ओर से अभिषेक कुमार को फर्जी बताने पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने पार्षद वेद प्रकाश पर बीस हजार रुपये हर्जाना लगाया है। अदालत ने उक्त राशि तीन दिनों के अंदर अभिषेक कुमार के खाते में जमा करने का निर्देश दिया है।
पार्षद वेद प्रकाश ने शिकायतकर्ता को बताया फर्जी
मामले की अगली सुनवाई एक दिसंबर को होगी। पार्षद वेद प्रकाश की ओर से कहा गया था कि अभिषेक कुमार नाम का कोई व्यक्ति नहीं है। यह एक फर्जी नाम है। अभिषेक कुमार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अभिषेक कुमार फर्जी नहीं, बल्कि सही व्यक्ति हैं।
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से भी अपील दाखिल की गई है। राज्य सरकार की ओर से बहस पूरी कर ली गई। बता दें कि अपीलकर्ता अभिषेक कुमार ने वेद प्रकाश पर आपराधिक इतिहास छिपाते हुए वार्ड पार्षद के लिए नामांकन करने की शिकायत की थी। इसके बाद वर्ष 2021 में पार्षद वेद प्रकाश सिंह को नगर विकास विभाग ने पद से हटा दिया था। एकल पीठ ने राज्य सरकार के इस आदेश को निरस्त कर दिया था।
सीबीआई जांच क्यों जरूरीः हाई कोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में जमशेदपुर जिला बार एसोसिएशन में हुए वित्तीय अनियमितता की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी के अधिवक्ता से पूछा कि उनका यह कहना कि इस मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए। इसकी क्या आवश्यकता है। अदालत ने प्रार्थी की अधिवक्ता को तीन दिन में शपथ पत्र के माध्यम से यह बताने को कहा गया है कि मामले की सीबीआई से जांच क्यों कराई जाए। इसकी क्या वजह है।
अदालत में मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को तय की है। यह याचिका राजेश जायसवाल की ओर से दाखिल की गई है। बता दें कि जमशेदपुर बार एसोसिएशन के राजेश जायसवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जमशेदपुर बार एसोसिएशन में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। मामले की सीबीआई से जांच करने की मांग की है।
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