रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने रिश्वत के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा मौखिक रूप से पूछा कि जब एक कर्मचारी अधिकारी के नाम पर रिश्वत मांगता है, तो सिर्फ कर्मचारी को ही आरोपी क्यों बनाया जाता है, अधिकारी को क्यों नहीं। हालांकि जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने एक लाख रुपये रिश्वत के साथ गिरफ्तार लिपिक मो इफ्तार को जमानत प्रदान कर दी। जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय, दुमका के कर्मचारी द्वारा रिश्वत लेने का मामला है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माैखिक रूप से एसीबी से पूछा कि एक कर्मचारी अधिकारी के नाम पर रिश्वत मांगता है, तो सिर्फ कर्मचारी को ही आरोपी क्यों बनाया गया अधिकारी को क्यों नहीं। अदालत ने कहा कि क्या कर्मचारी एक लाख रुपये की मांग कर सकता है। इस मामले में वेस्टर्न इंग्लिश स्कूल शिवपाथर के प्रधानाध्यापक ने एसीबी को शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि लॉकडाउन में स्कूल खोलने के कारण शिक्षा पदाधिकारी ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा था और स्कूल व नामांकन अगले आदेश तक बंद करने का निर्देश दिया था। कार्यालय के कर्मचारी ने प्रधानाध्यापक से कहा था कि पदाधिकारी से आदेश लेने के लिए आपको पांच लाख रुपये देने होंगे। तभी आदेश मिलेगा। शिकायत के बाद एसीबी ने मो इफ्तार को एक लाख रुपये रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया।
आय से अधिक संपत्ति के आरोपी को नहीं मिला जमानत
हाईकोर्ट के जस्टिस रंगोन मुखोपाध्याय की अदालत ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में आरोपी लिपिक शंकर प्रसाद श्रीवास्तव को राहत देने से इनकार कर दिया। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने प्रार्थी की अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान एसीबी के अधिवक्ता टीएन वर्मा ने अदालत को बताया कि प्रार्थी भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय रांची में लिपिक पद पर तैनात है। इनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित शिकायत की गई थी। इसके बाद जांच में आय से अधिक संपत्ति होने का सबूत मिला है, जो आय है से 37 प्रतिशत अधिक संपत्ति पायी गयी है। गौरतलब है कि प्रार्थी शंकर प्रसाद श्रीवास्तव ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी।