रांचीः कनहर बराज परियोजना अब तक शुरू नहीं होने पर शुक्रवार को हाईकोर्ट ने फिर एक बार नाराजगी जतायी और सख्त टिप्पणी की। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत ने कहा कि परियोजना में हो रही देरी पर सरकार को जनता के समक्ष जवाब देना होगा। पलामू और गढ़वा की जनता पानी की समस्या से जूझ रही है। इन जिलों में वर्षों से अकाल की स्थिति रहती है। लंबे समय से कनहर बराज परियोजना की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है। यहां तक कि कनहर बराज के लिए जमीन अधिग्रहण, वन भूमि का क्लीयरेंस, एनवायरमेंट क्लीयरेंस आदि का काम तक पूरा नहीं हो सका है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को कनहर बराज परियोजना के देरी का कारण बताने के साथ-साथ कनहर बराज प्रोजेक्ट को लेकर अब तक की गयी कार्यवाही दो सप्ताह में पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के लचीले रुख के कारण केंद्र सरकार से फंड भी अब तक आवंटित नहीं हो सका है। पहले राज्य सरकार को कनहर बराज के अधूरे काम को पूरे कर लेना चाहिए था, फिर फंड के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए था। कोर्ट ने मौखिक कहा कि वर्ष 2010 में भी राज्य सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पांच साल का समय मांगा गया था, वर्ष 2024 में भी आठ साल का समय मांगा जा रहा है। यह जनहित याचिका शुरू हुए 14 साल से अधिक का समय बीत चुका है। राज्य सरकार को कनहर बराज परियोजना की सारी बाधाओं को जल्द पूरा कर इसका निर्माण करना था।
पूर्व की सुनवाई में कोर्ट के आदेश पर मुख्य सचिव, जल संसाधन सचिव,वन सचिव और वित्त सचिव हाजिर हुए थे। कोर्ट ने उनसे मौखिक कहा था कि वर्ष 2020 में राज्य सरकार ने पांच साल में इस परियोजना को पूरी होने का टाइमलाइन दिया था, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को कनहर बराज परियोजना पूरा करने को लेकर समय सीमा प्रस्तुत करने को कहा था। बता दें कि गढ़वा, पलामू के लोगों को पानी उपलब्ध करने के लिए कनहर बराज का निर्माण पूरा करने का आग्रह करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई ह