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राज्य में शहरी निकाय चुनाव पर सरकार की अपील याचिका पर सुनवाई पूरी, फैसला हाईकोर्ट ने रखा सुरक्षित

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राज्य में शहरी निकाय चुनाव को लेकर दायर सरकार की अपील याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। सरकार का पक्ष रखते हुए अपर महाधिवक्ता सचिन कुमीार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए अदालत को बताया कि ट्रिपल टेस्ट करने के बाद ही राज्य में निकायों का चुनाव कराना है। राज्य के जिलों में ओबीसी की आबादी का आकलन की प्रक्रिया जारी है। पिछड़ा आयोग द्वारा ओबीसी की आबादी का आकलन किया जा रहा है।


पिछड़ा आयोग को ही डेडीकेटेड कमीशन के रूप में नियुक्त कर दिया गया है। आयोग राज्य के जिलों में ओबीसी की आबादी का आकलन करेगा राज्य सरकार को डाटा उपलब्ध कराएगा। इसके आधार पर निकाय चुनाव में वार्डों में ओबीसी के लिए आरक्षण दिया जायेगा। इसलिए निकाय चुनाव पूरा कराने के लिए समय दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने एवं एकल पीठ के आदेश को रद्द करने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रावधान का हवाला देते हुए नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही ठहराया।


जबकि प्रतिवादी पूर्व पार्षद रोशनी खलखो और अन्य की ओर से अदालत को बताया गया की सरकार राज्य के निकाय चुनाव को टाल रही है। सरकार ने चुनाव करना नहीं चाहती है, एकल पीठ ने भी चुनाव के संबंध में उनके पक्ष में फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सरकार गलत व्याख्या कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा कि चुनाव को टाला नहीं जा सकता है और यह संवैधानिक प्रावधान भी है। इस कारण अदालत राज्य सरकार को नगर निकाय चुनाव कराने का निर्देश दे।

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