हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में गिरिडीह के बर्खास्त मेयर सुनील पासवान की ओर से जाति प्रमाण पत्र को गलत बताते हुए रद करने के आदेश के खिलाफ दायर अपील की सुनवाई हुई।
इस दौरान प्रार्थी की ओर से बहस जारी रही। मामले में अब चार दिसंबर को सरकार की ओर से पक्ष रखा जाएगा। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से बताया गया था कि इनके पिता वर्ष 1982- 83 में सरकारी सेवा पर रहते हुए सचिव, व्यापार मंडल गिरिडीह के पद पर थेय़ प्रार्थी की शिक्षा- दीक्षा गिरिडीह में ही हुआ है।
सुनील पासवान का जाति प्रमाण पत्र सही
इस दौरान गिरिडीह के सक्षम प्राधिकार द्वारा इनका जाति प्रमाण पत्र भी निर्गत किया गया था। सुनील पासवान मुखिया का चुनाव सहित अन्य चुनाव लड़ा था, लेकिन उनके जाति प्रमाण पत्र पर सवाल नहीं उठाया गया था। एकीकृत बिहार के समय से वह गिरिडीह में ही थे। इसलिए अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र पर मेयर का चुनाव लड़ने का आरोप गलत है।
एकल पीठ ने इस संबंध में प्रार्थी सुनील कुमार पासवान की याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उनकी ओर से खंडपीठ में अपील दायर की गई है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गिरिडीह नगर निगम के मेयर पद पर सुनील कुमार पासवान का चयन वर्ष 2018 में हुआ था। झामुमो कार्यकर्ता ने उनके जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए जांच की मांग की थी। गिरिडीह डीसी ने जाति प्रमाण पत्र को गलत बताते हुए रद कर दिया था।
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