झारखंड हाई कोर्ट ने जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति में हुए अवैध निर्माण की जांच के लिए हाई कोर्ट की ओर से गठित वकीलों की कमेटी को जिला प्रशासन से सहयोग नहीं दिए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है।
चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने कहा कि यदि प्रशासन सहयोग नहीं करेगा तो अदालत संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त आदेश जारी करेगी। इसके साथ ही अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तीन जनवरी को निर्धारित की।
जमशेदपुर में अवैध निर्माण को लेकर दाखिल याचिका
इस संबंध में राकेश कुमार झा ने जनहित याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि स्थल जांच के लिए बनी कमेटी को जिला प्रशासन से सहयोग नहीं मिलने से जांच पूरी नहीं हो पा रही है। जिस कारण फाइनल जांच रिपोर्ट अदालत में पेश नहीं की जा सकी है।
याचिका में कहा गया है कि जमशेदपुर में जी प्लस तीन से अधिक ऊंचा भवन नहीं बनाया जा सकता है। लेकिन टाटा, जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमेटी और जिला प्रशासन की मिलीभगत से 1246 भवनों के निर्माण में नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है।
कोर्ट के आदेश का नहीं हुआ पालन
वर्ष 2011 में हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और नक्शा विचलन कर अवैध निर्माण पर स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने पूरे राज्य में इस तरह के मामलों में कार्रवाई का निर्देश दिया था। लेकिन जमशेदपुर में कोर्ट के आदेश का पालन ही नहीं किया गया।
सुनवाई के दौरान जमशेदपुर के उपायुक्त ने शपथ पत्र में कहा था कि इस तरह के मामलों में कार्रवाई की जाएगी। अधिवक्ता ने कहा कि जमशेदपुर में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, बल्कि म्यूनिसिपल एक्ट 2011 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए जी प्लस 9 तक का भवन बना लिया गया है।
इतना ही नहीं बिल्डरों ने पार्किंग की जगहों को कामर्शियल उपयोग के लिए बेच दिया है। लोगों के वाहन सड़क पर खड़े किए जा रहे हैं। बता दें कि अवैध निर्माण की जांच को लेकर पूर्व में अदालत ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।
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