रांचीः राज्य की हेमंत सरकार ने चुनावी बिगुल बजने से पहले नए-नए सौगात देने में पीछे नहीं हट रही है। पहले मईया सम्मान योजना चालू किया। उसकी सफलता के बाद शुक्रवार को खबर आ रही है कि राज्य के 30 हजार से अधिक वकीलों एवं उनके परिवार के सदस्यों को पांच लाख रुपए का मेडिक्लेम का खर्च सरकार उठाएगी। इतना ही नहीं नए वकीलों को सहयोग के रूप में हर माह पांच हजार रुपए दिए जाने की बात कही गई है। साथ ही वकीलों को पेंशन के रूप में 14 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन भी मिलेगा। हेमंत सोरेन सरकार के तीन महत्वपूर्ण निर्णय शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पास किया गया है। मुख्यमंत्री ने राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन से विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया है।इससे वकीलों में खुशी का माहौल है। लेकिन डर यह भी सता रहा है कि कहीं यह सिर्फ चुनावी घोषणा बन कर ही नहीं रह जाए। लेकिन यह व्यवस्था वर्तमान में सिर्फ एक साल के लिए ही की गई है।
इस संबंध में झारखंड स्टेट बार काउंसिल के सदस्य सह रांची जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री ने दो साल पूर्व भी वकीलों को लेकर कई तरह की घोषणाएं की थी। जो दो साल बाद भी धरातल पर नहीं उतरा है। चुनाव सर पर है तो इस तरह की घोषणा की जा रही है। यह पूरी तरह से चुनावी स्टंट है। अगर यह चुनावी स्टंट नहीं तो तत्काल इसे बार काउंसिल को इसकी अधिसूचना उपलब्ध कराए। ताकि राज्य भर के अधिवक्ताओं को इसके बारे में बताया जा सके।
आईए समझे सरकार कैसे खुश करना चाह रही वकीलों कोः
वकीलों को पूर्व से 7 हजार रुपए पेंशन दिया जा रहा है। अधिवक्ता कल्याण योजना के माध्यम से। इसमें सरकार अपने तरफ से और 7 हजार जोड़ेंगी। इस पर कुल 14 हजार पेंशन 65 साल के बाद वकालत छोड़ने के बाद मिलेगा। जहां तक मेडिक्लेम की बात है तो सरकार सिर्फ 9 करोड़ रुपए में 30 हजार वकीलों के स्वास्थ्य के ध्यान रख रही है। सरकार कह रही है कि प्रति वकील 6 हजार प्रीमियम देंगे। इस हिसाब से 30 हजार वकीलों का प्रीमियम 18 करोड़ हो रहा है। स्पष्ट है कि जो वकील नियमित वकालत कर रहें उन्हीं को लाभ मिल सकता है। चुनावी घोषण है। सिर्फ एक साल के लिए यह सब खेल है। आनेवाला दिसंबर में जो राज्य सरकार यहां आएगी। उसके माथे पर टिकरा फुटेगा।
इस संबंध में हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने झारखंड राज्य के अधिवक्ताओं एवं उनके परिवार के इलाज पांच लाख तक की राशि स्वीकृत किए जाने और नये अधिवक्ताओं को पांच हजार रुपए प्रति माह वजीफा देने वाले फैसले का स्वागत किया है। हेमंत सोरेन सरकार का यह सराहनीय कदम है।